Edited By ,Updated: 17 May, 2017 02:20 PM
भारत ने अपने ''करीबी दोस्त'' रूस को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता नहीं मिल पाती है
नई दिल्लीः भारत ने अपने 'करीबी दोस्त' रूस को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता नहीं मिल पाती है तो वह परमाणु ऊर्जा विकास के अपने कार्यक्रम में विदेशी पार्टनर्स से सहयोग करना बंद कर देगा। भारत ने साफ कह दिया है कि ऐसी स्थिति में वह रूस के साथ कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की 5वीं और 6वीं रिऐक्टर यूनिट्स को विकसित करने से जुड़े MoU को ठंडे बस्ते में डाल सकता है। दरअसल, भारत को महसूस हो रहा है कि चीन से दाेस्ती बढ़ा रहा रूस भारत को एनएसजी सदस्यता दिलवाने के लिए अपनी 'क्षमताओं' का पूरा इस्तेमाल नहीं कर रहा है। ऐसे में अब भारत ने भी अपना रुख कड़ा कर लिया है।
NSG के लिए चीन पर दवाब
भारत यह उम्मीद करता रहा है कि रूस उसे एनएसजी सदस्यता दिलाने के लिए चीन पर दवाब डालेगा। अब तो रूस को भी यह महसूस होने लगा है कि भारत कुडनकुलम एमओयू को लेकर जानबूझकर देरी कर रहा है ताकि वह एनएसजी सदस्यता के लिए उस पर दबाव डाल सके। एमओयू साइन करने को लेकर भारत के 'टालमटोल' से फिक्रमंद रूस के उपप्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन ने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में यह मुद्दा उठाया था। एक टॉप ऑफिशल सूत्र ने यह बात कन्फर्म की है। हालांकि भारत की ओर से इस मुलाकात में एमओयू साइन करने को लेकर कोई भरोसा नहीं दिलाया गया।
पुतिन-मोदी की मुलाकात
यह मीटिंग अगले महीने होने वाली रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात की तैयारियों के मद्देनजर की गई थी। पुतिन-मोदी मुलाकात में अब बस 2 हफ्ते बाकी रह गए हैं। ऐसे में रूस को चिंता सता रही है कि अगर एमओयू साइन नहीं हो पाता है तो इस वार्ता का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। बताया जा रहा है कि भारत ने रूस को स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर उसे अगले एक-दो सालों में एनएसजी सदस्यता नहीं मिलती है तो उसके पास स्वदेशी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। हालांकि यह साफ नहीं है कि भारत ने इसी तरह की 'चेतावनी' अमरीका और फ्रांस को भी दी है या नहीं, क्योंकि ये दोनों देश भी परमाणु ऊर्जा में भारत के बड़े सहयोगी हैं। लेकिन यह साफ है कि भारत रूस काे एक ऐसी बड़ी शक्ति के तौर पर देख रहा है जो अपने प्रभाव से चीन को भारत की एनएसजी सदस्यता में रोड़ा न अटकाने के लिए राजी कर सकता है।