SC का आदेश: 36 घंटे के भीतर डिलीट हाे लिंग परीक्षण संबंधी विज्ञापन

Edited By ,Updated: 17 Nov, 2016 12:33 AM

sc orders to block advertisement on sex determinations on websites

उच्चतम न्यायालय ने सर्च इंजन गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को वेबसाइटों पर लिंग परीक्षण पर दिए गए विज्ञापन 36 घंटे के भीतर हटाने (डिलीट करने) के आज आदेश दिए।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सर्च इंजन गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को वेबसाइटों पर लिंग परीक्षण पर दिए गए विज्ञापन 36 घंटे के भीतर हटाने (डिलीट करने) के आज आदेश दिए। शीर्ष अदालत ने कहा, ऐसे हालात हो गए हैं कि लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं। लड़का कैसे होगा और लड़की कैसे होगी, ऐसी जानकारी की देश में कोई जरूरत नहीं।'

36 घंटे में हटाएंगे विज्ञापन
न्यायालय ने केंद्र सरकार को ऐसे विज्ञापनों की शिकायत दर्ज करने के लिए नोडल एजेंसी का गठन करने का आदेश भी दिया। यह एजेंसी शिकायतों को सर्च इंजनों को देगी और फिर सर्च इंजन ऐसी सूचनाओं और विज्ञापनों को 36 घंटे में हटाएंगे।  न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अगले साल 17 फरवरी की तारीख मुकर्रर करते हुए कहा कि वह यह भी तय करेगा कि क्या यह प्रतिबंध सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।  

लिंगानुपात के विज्ञापनों को इजाजत नहीं
न्यायालय ने कहा कि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वेबसाइट पैसा कमाएं या ना कमाएं, लेकिन ऐसे विज्ञापनों को इजाजत नहीं दी जा सकती जो देश में लिंगानुपात को प्रभावित करें। इन विज्ञापनों को वेबसाइटों के कॉरीडोर से देश में आने की मंजूरी नहीं दी जायेगी। ये विज्ञापन सीधे-सीधे पूर्व-गर्भाधान एवं जन्म-पूर्व जांच तकनीक (लिंग चयन निषेध) कानून (पीएनडीटीए) का उल्लंघन हैं। न्यायालय ने पिछले हफ्ते ही देश में लिंगानुपात को बनाए रखने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। शीर्ष अदालत ने साफ किया कि अश्लीलता के कानून, आपराधिक मानहानि के कानून और पीएनडीटी कानून के उल्लंघन को नजरंदाज नहीं किया जाएगा। 

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