पढ़ाई के साथ-साथ पाक की गोलीबारी से बचने का तरीका सीख रहे स्कूली बच्चे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 01:51 PM

school children learning how to avoid pak firing

बच्चे स्कूल शिक्षा लेने जाते हैं पर सीमांत क्षेत्र के स्कूलों के बच्चे इन दिनों एक और पढ़ाई पढ़ रहे हैं। बच्चे पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी से बचने के गुर सीख रहे हैं। बार्डर पर पाकिस्तानी गोलीबारी से बच्चों के स्कूलों की इमारतें भी सुरक्षित नहीं हैं।

जम्मू: बच्चे स्कूल शिक्षा लेने जाते हैं पर सीमांत क्षेत्र के स्कूलों के बच्चे इन दिनों एक और पढ़ाई पढ़ रहे हैं। बच्चे पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी से बचने के गुर सीख रहे हैं। बार्डर पर पाकिस्तानी गोलीबारी से बच्चों के स्कूलों की इमारतें भी सुरक्षित नहीं हैं। स्कूल की दीवारें इसका गवाह भी हैं, जिनमें कभी गोलियां टकराती हैं,तो कभी गोलों के टुकड़े आकर वहां सुराख बना जाते हैं। सीमा पार की नापाक हरकत से सहमें बच्चे धमाके सुनते ही जान बचाने के लिए मेज के नीचे छुपकर बैठ जाते हैं। पाकिस्तानी सेना की तरफ से बार-बार सीज फायर का उल्लंघन कर सीमांत क्षेत्रों में की जा रही गोलाबारी से ग्रामीणों में हर समय दहशत का माहौल दिखाई देता है। मासूम भी इससे डरे-सहमें रहते हैं।


 बच्चे स्कूल में पढ़ाई भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। गोलाबारी की जरा सी आवाज उनकी धडक़न तेज कर देती है। स्कूल की दीवारों पर टकराती गोलियां और मोर्टारों के टुकड़े के बीच पढ़ाई की यह तस्वीर हर दिन की है। सीमा पार से नापाक हरकत की आहट मिलते ही शिक्षक और बच्चे सहम जाते हैं। बच्चे भाग कर मेज के नीचे छुप जाते हैं। कुछ अलमारियों की ओट में बैठ जाते हैं।
स्कूल के हैडमास्टर ने सुनाई दास्तां
 नेशनल एकेडमी धारगलूँ  में यह बात आम हो गई है।  शिक्षक इन हालातों में बचने के लिए भी बच्चों को बतातें हैं। यानी पढ़ाई के साथ उनके उपर सुरक्षित रखने की भी जिम्मेदारी बन गई है। इस स्कूल में दो सो से जादा विद्यार्थी हैं।  हेडमास्टर मोहम्मद राजा पिछले तीन दिनों से लगातार बच्चों को पाक सेना द्वारा की जाने वाली गोलाबारी से बचने के गुर सिखा रहे हैं। राजा बच्चों को पाक गोलीबारी का जरा सा संकेत देते हैं, तो स्कूल के छात्र छात्राएं भाग कर दो कमरों में डेस्कों के नीचे छुप जाते हैं। 

मोहम्मद राजा का कहना है कि हमारा यह स्कूल नियंत्रण पर है, जो पाकिस्तानी सेना की तीन चौकियों की गोलाबारी की जद में आता है। जब गोलाबारी शुरू होती है,तो पाक सेना द्वारा दागी गई गोलियां हमारे स्कूल की दीवारों में आकर लगती हैं। ऐसे में हम उस समय बच्चों को छुट्टी भी नहीं कर सकते हैं। कई बार तो बच्चों को छुपते-छुपाते घरों को भेजना पड़ता है।


अब रोते नहीं, हिम्मत से काम लेते हैं  
विद्यार्थी आसिया, शाहिदा, नुसरत, शबबीर, माशूक, वसीम आदि का कहना है कि पहले जब सीजफायर था, तो हमारी पढ़ाई अच्छे तरीके से होती थी, लेकिन पिछले एक महीने से पाकिस्तानी फौज की तरफ से गोलीबारी किए जाने से हमारी पढ़ाई नहीं हो पा रही है। पहले हम गोलीबारी होने पर डर कर रोने लगते थे, लेकिन अब मास्टर जी गोलीबारी के दौरान छुपने के तरीके सिखा रहे हैं। हमारा डर कम होने लगा है।
 

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