Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Aug, 2017 12:14 PM
चीन से डोकलाम मुद्दे पर जारी जबर्दस्त तनातनी के बीच भारत के लिए अपनी समुद्री सीमा की सुरक्षा और अहम हो गई है।
बीजिंगः चीन से डोकलाम मुद्दे पर जारी जबर्दस्त तनातनी के बीच भारत के लिए अपनी समुद्री सीमा की सुरक्षा और अहम हो गई है। ऐसे में हिंद महासागर में चीन को पटखनी देने की तैयारी के लिए अमरीका भारत का साथ देगा। भारत की समुद्री सीमा 7500 किलोमीटर लंबी है। साउथ चाइना सी में चीन के अंतर्राष्ट्रीय नियमों को धता बताने और हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिशों को देखते हुए भारत को अमरीकी ड्रोन मिलना बेहद अहम है।
अमरीका से भारत को मिलने वाले 22 सी-गार्डियन ड्रोन से हिंद महासागर में देश की सुरक्षा को नई मजबूती मिलने की उम्मीद है। सी-गार्डियन ड्रोन अमरीका समेत उसकी सहयोगी सेनाओं का अहम रक्षा उपकरण है। इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये ड्रोन लगातार 40 घंटे तक उड़ान भरते हुए दुश्मन की किसी भी हरकत पर नजर रखने में सक्षम है।
भारतीय मूल के एक टॉप अमरीकी अफसर विवेक लाल ने बताया कि भारत को सी-गार्डियन देने के फैसले से भारत-अमरीका के रिश्ते तो मजबूत होंगे ही, इससे अमरीका में 2000 नए जॉब्स भी जाएंगे। PM नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान भारत को 2 बिलियन डॉलर (करीब 12818 करोड़ रुपए) में ड्रोन दिए जाने पर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सहमति जताई थी।
गार्डियन ड्रोन से हिंद महासागर इलाके में भारत की निगरानी क्षमता में इजाफा होगा और चीन के साथ 'पावर बैलेंस' बनाने में भी मदद मिलेगी। अमरीका ने पहली बार किसी ऐसे देश को ये ड्रोन देने का फैसला किया है, जो कि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का सदस्य नहीं है। भारत ने हाल ही में इजरायल से 10 हेरॉन ड्रोनों की खरीद का भी समझौता किया है, जिनकी कीमत 400 मिलियन डॉलर है। इस्राइली हेरॉन को सी-गार्डियन का प्रतियोगी माना जाता है। अमरीकी अधिकारी ने कहा है कि अमरीका के भारत को ड्रोन देने से इस्राइल से डील पर असर नहीं पड़ेगा। इसे अमरीका की भारत के साथ अब तक की सबसे बड़ी डील भी कहा जा रहा है।