PM मोदी की यात्रा के बाद चर्चा में ‘सी-प्लेन’, जानिए क्या है खास

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 07:53 PM

sea plain in the discussion after pm modi visit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात विधानसभा चुनाव के आखिरी दिन आज सी-प्लेन से उड़ान भरने के बाद यह बड़ी चर्चा का विषय बन गया है। सरकार भले ही पहले से देश में सी-प्लेन के परिचालन की संभावना पर काम कर रही है, लेकिन प्रधानमंत्री की इस यात्रा ने इसे आम...

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात विधानसभा चुनाव के आखिरी दिन आज सी-प्लेन से उड़ान भरने के बाद यह बड़ी चर्चा का विषय बन गया है। सरकार भले ही पहले से देश में सी-प्लेन के परिचालन की संभावना पर काम कर रही है, लेकिन प्रधानमंत्री की इस यात्रा ने इसे आम चर्चा में शामिल कर दिया है। सी-प्लेन या एम्फीबियन विमान पानी और जमीन दोनों पर उतरने और वहां से उड़ान भरने में सक्षम हैं। प्रधानमंत्री के विमान ने मंगलवार को अहमदाबाद में सबारमती नदी से उड़ान भरी और धरोई बांध में उतरा। इससे पहले नौ दिसंबर को एक निजी विमान सेवा कंपनी द्वारा किए गए ट्रायल में यह विमान मुंबई हवाई अड्डे से उड़ान भरकर चौपाटी बीच पर उतरा था। 
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जानिए, क्या है सी प्लेन में खास:
-यह विमान विभिन्न जलाशय से उड़ान भर सकता है और उतर सकता है। 

-इसका इस्तेमाल उन स्थानों को हवाई संपर्क मार्ग से जोडऩे के लिए किया जा सकता है जहां हवाई अड्डा या हवाई पट्टियां नहीं हैं।

-कुछ शिड्यूल तथा नॉन-शिड्यूल विमान सेवा कंपनियों के सी-प्लेनों के परिचालन में रुचि दिखाने के बाद अक्टूबर में इस संबंध में नागर विमानन मंत्रालय में एक बैठक हुई थी जिसमें इनका शिड्यूल परिचालन शुरू करने के उद्देश्य से फ्रेमवर्क की समीक्षा की गई। 

-पूर्वोत्तर के राज्यों और छोटे द्वीपों पर इनका परिचालन पारंपरिक विमानों की तुलना में आसान और ढांचागत सुविधा पर बहुत ज्यादा खर्च किए बिना संभव होगा। इसके साथ ही मंत्रालय इनकी लैंडिंग तथा टेकऑफ के लिए वाटरड्रम्स (जलपत्तनों) के विकल्प को भी तलाश रहा है। 

-जलपत्तनों की पहचान और वहां एम्फीबियन विमानों के परिचालन की संभावनाओं के अध्ययन के लिए तीन-चार टीमें बनाई गईं हैं। इन टीमों में नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। 

-लगभग 15 से 16 वाटरड्रमों की पहचान की गई है जहां विमानों के परिचालन की संभावना का अध्ययन किया जाना है। इसके लिए दो महीने का समय दिया गया है। 

-इन विमानों के शिड्यूल परिचालन में एक और दिक्कत यह है कि अभी देश में एक इंजन वाले किसी भी तरह के विमानों के परिचालन की अनुमति नहीं है। हालांकि, डीजीसीए की एक समिति एक इंजन के विमानों को अनुमति देने की संभावना पर विचार कर रही है। दो इंजन वाले सी-प्लेन इतने महंगे होते हैं कि उनका वाणिज्यिक इस्तेमाल कंपनियों के लिए ज्यादा लाभप्रद नहीं रह जाएगा।

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