दूसरा नवरात्रि आज: मां ज्वाला जी की ज्योति के Live दर्शन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Mar, 2018 09:21 AM

आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है, इस दिन नवदुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की उपासना किए जाने का विधान है। पंजाब केसरी की टीम आपको लाइव दर्शन करवाने जा रही है 51 शक्तिपीठों में से एक ज्वाला देवी धाम के, यह धुमा देवी का स्थान है। यहां भगवती सती की...

आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है, इस दिन नवदुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की उपासना किए जाने का विधान है। पंजाब केसरी की टीम आपको लाइव दर्शन करवाने जा रही है 51 शक्तिपीठों में से एक ज्वाला देवी धाम के, यह धुमा देवी का स्थान है। यहां भगवती सती की जीभ गिरी थी। मान्यता है कि भगवान शिव यहां उन्मत भैरव के रूप में स्थित है। यहां देवी के दर्शन ज्योति रूप में किए जाते हैं। पर्वत की चट्टान से नौ विभिन्न स्थानों पर बिना किसी ईंधन के ज्योति स्वत ही जलती रहती है। यही कारण है कि यहां देवी को ज्वाला देवी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि सभी शक्तिपीठों में देवी मां हमेशा निवास करती हैं। शक्तिपीठ में माता की आराधना करने से माता जल्दी प्रसन्न होती है।


मंदिर र्निमाण
सतयुग में सम्राट भूमिचन्द्र ने यह अनुमान लगाया था कि देवी सती की जीभ हिमालय की धौलाधार पहाड़ियों पर गिरी होगी। उस स्थान पर खूब खोज की गई मगर सफलता नहीं मिली। तदउपरांत उन्होंने नगरकोट कांगड़ा में एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया। कुछ सालों के पश्चात एक ग्वाले ने सम्राट भूमिचन्द्र को यह सूचना दी की उसने धौलाधार पहाड़ियों में एक ज्वाला निकली हुई देखी है जो निरंतर ज्योति के रूप में जल रही है। सम्राट ने स्वयं जाकर वहां दर्शन किए और घोर वन में मंदिर का र्निमाण भी करवाया।


मंदिर में पूजा हेतू शाकद्वीप से दो भोजक ब्राह्मणों को बुलाकर नियुक्त किया गया। तब से लेकर आज तक उन्हीं दोंनो भोजक ब्राह्मणों के वंशज ज्वालामुखी तीर्थ की पूजा करते आ रहे हैं। माता के इस मंदिर की महिमा ऐसी है कि यहां आकर नास्तिक भी आस्तिक हो जाते हैं। यह स्थान हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। पंजाब के होशियारपुर से गौरीपुरा डेरा नामक स्थान से होते हुए ज्वाला जी पहुंचा जा सकता है। डेरा से ज्वाला जी का मंदिर 20 कि मी की दूरी पर है।


मंदिर में देवी के दर्शन नौ ज्योतियों के रूप में होते हैं। ये ज्योतियां स्वप्रभाव से ही धीरे तेज जलती रहती है। मुख्य ज्योति चांदी के आले में जलती रहती है। नौ ज्वालाओं में प्रमुख ज्वाला जो चांदी के आले के बीच स्थित है उसे महाकाली कहते हैं। अन्य आठ ज्वालाओं के रूप में मां अन्नपूर्णा, चण्डी, हिंगलाज, विध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका एवं अंजी देवी ज्वाला देवी मंदिर में निवास करती हैं।


यहां पर मुख्य दर्शनिय स्थल हैं सेजा भवन, टेढ़ा मंदिर, अम्बिकेश्वर महादेव, सिद्धनागार्जुन। मुख्य दर्शनिय स्थलों के अलावा मंदिर परिसर व उसके पास ही अन्य दर्शनिय स्थल भी हैं। जिनका महत्व सर्वविदित है।

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