जेलों में राजनीतिक कैदियों की हालत को लेकर अलगाववादी पहुंचे मानवाधिकार आयोग के दरवाजे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Nov, 2017 08:36 PM

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कश्मीरी अलगाववादी नेताओं ने एक असाधारण कदम में तिहाड़ और कठुआ में कश्मीरी राजनीतिक कैदियों की हालत को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग (एस.एच.आर.सी.) से संपर्क किया। सैयद अली शाह गिलानी, मीरवायज उमर फारुक और यासीन मलिक द्वारा हस्ताक्षर किए गए एक पत्र में...

श्रीनगर : कश्मीरी अलगाववादी नेताओं ने एक असाधारण कदम में तिहाड़ और कठुआ में कश्मीरी राजनीतिक कैदियों की हालत को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग (एस.एच.आर.सी.) से संपर्क किया। सैयद अली शाह गिलानी, मीरवायज उमर फारुक और यासीन मलिक द्वारा हस्ताक्षर किए गए एक पत्र में उन्होंने एस.एच.आर.सी. चेयरमैन को तिहाड़ और कठुआ जेलों में राजनीतिक कैदियों की हालत के बारे में अवगत कराया है। पत्र में उन्होने लिखा है कि भारतीय जेलों में कश्मीरी कैदियों को उनके अधिकार नहीं मिलते हैं। कश्मीरी कैदियों को जेल में रखने का मतलब उनके साथ जानवरों का सलूख करना नहीं है।

पहली बार तीन शीर्ष अलगाववादियों द्वारा संयुक्त रुप से लिखे गए पत्र में आरोप लगाया गया कि तहाड़ जेल में कश्मीरी कैदियों को अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ता है। जिन लोगों को जरुरत है उनके लिए चिकित्सा उपचार की कमी है। कैदियों को उनके प्रियजनों के साथ संपर्क करने और अन्य बुनियादी जरुरतों से वंचित रखा गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि कठुआ जेल एक ‘यातना कक्ष’ बन गया है जहां कश्मीरी कैदियों को कई महीनों से मानव संपर्क से वंचित रखा गया है। अलगाववादी नेताओं ने आरोप लगाया कि बड़ी संख्या में विचाराधीन कैदियों को अस्वच्छ परिस्थितियों में रखा गया है। उनको दी जा रही दवाएं घटिया हैं। यहां तक कि कैदियों को स्वास्थ्य मामलों में भी जेल प्राधिकरण से इजाजत लेनी पड़ रही है। उनको उपलब्ध कराया जा रहा भोजन की गुणवत्ता खराब है और वह भी समय पर नहीं दिया जा रहा है। अलगाववादियों ने एस.एच.आर.सी. से इन गंभीर उल्लंघनों की जांच करने का अनुरोध किया है।

 

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