शिंजो आबे की जीत से भारत और जापान के रिश्ते और गहराई लेंगे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 09:26 PM

shinzo abe victory will deepen the relationship between india and japan

तेजी से बदलते विश्व सामरिक समीकरण के बीच जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे का संसदीय चुनाव में भारी मतों से जीतकर तीसरे टर्म के लिए सरकार का गठन करना भारत के साथ रिश्तों पर सकारात्मक असर डालते हुए इसे और गहराई प्रदान करने में सहायक होगा। .....

नई दिल्ली( रंजीत कुमार ): तेजी से बदलते विश्व सामरिक समीकरण के बीच जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे का संसदीय चुनाव में भारी मतों से जीतकर तीसरे टर्म के लिए सरकार का गठन करना भारत के साथ रिश्तों पर सकारात्मक असर डालते हुए इसे और गहराई प्रदान करने में सहायक होगा। 
   

2012 से जापान के प्रधानमंत्री रहे शिंजो अबे ने भारत के साथ रिश्तों को नई गहराई दी । उनके निजी राजनीतिक प्रयासों की वजह से न केवल जापान और भारत के बीच परमाणु सहयोग समझौते को सम्पन्न करवाया जा सका बल्कि रक्षा क्षेत्र में भी उच्च तकनीकी सहयोग को हरी झंडी मिली है। भारत और जापान के रिश्ते ऐसे दौर में गहराई ले रहे हैं जब चीन ने दोनों देशों के सामरिक हितों पर आंच डालने वाले कदम उठाए हैं। 


प्रशांत सागर का इलाका नौवहन और व्यापारिक जहाजों के स्वच्छंद आवागमन के लिए खुला रखने पर भारत और जापान साझा तौर पर चीन को आगाह करते रहे हैं। जापान के साथ इस सदी के आरम्भ से सामरिक रिश्ते विकसित होने लगे और इस दौरान दोनों देशों के बीच सामरिक तालमेल और रक्षा सहयोग का ऐसा दौर शुरु हुआ जिससे चीन के सामरिक हलकों में चिंता पैदा होने लगी। प्रशांत सागर में चीन के आक्रामक रवैये का मुकाबला करने के लिए जिस तरह भारत और जापान एकजुट हुए हैं वह इस इलाके में शक्ति संतुलन बनाए रखने के नजरिए से काफी अहम है। 
 

शिंजो अबे और नरेन्द्र मोदी के बीच रिश्तों में जिस तरह व्यक्तिगत केमिस्ट्री विकसित हो चुकी है वह भी दोनों देशों के बीच रिश्तों को गहरा बनाने में सहायक हो रही  है। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने शिंजो अबे की जीत पर व्यक्तिगत खुशी जाहिर करते हुए उन्हें अपना बधाई संदेश भेजने में देरी नहीं की। दोनों नेताओं के बीच कई दौर की मुलाकातें हो चुकी हैं। शिंजो अबे के हाल के अहमदबाद दौरे में दोनों देशों के रिश्तों में व्यक्तिगत केमिस्ट्री साफ देखने को मिली। 
 

भारत और जापान के रिश्तों पर अब सामरिक रंग चढ़ने लगा है। जिस तरह से भारत और जापान ने समुद्री क्षेत्र में आपसी तालमेल और सहयोग में इजाफा किया है वह पूरे क्षेत्र में शांति व सुरक्षा बनाए रखने के नजरिए से काफी अहम माना जा राह है। भारत और अमरीका के  बीच पिछले अढ़ाई दशक से चल रहे मालाबार साझा नौैसैनिक अभ्यास में पिछले साल जापान को भी औपचारिक तौर पर शामिल करना इस बात का सूचक है कि भारत औ्रर जापान अब अपने एशिया प्रशांत इलाके में तालमेल से समुद्री कानून और नियमों की  सुरक्षा के लिए तत्पर रहेेंगे।दोनों देशों ने आपसी रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए रक्षा और विदेश मंत्रालयों के स्तर पर टू प्लस टू डायलाग की जो सिलसिला कुछ साल पहले चलाया है उसके जरिए दोनों देश आपसी सामरिक रिश्तों को अब नया आयाम देेने लगे हैं।यही वजह है कि  हिंद प्रशांत के इलाके में भारत और जापान अब स्थिरता के दो ध्रुव माने जाने लगे हैं।

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