कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर 'लेफ्ट' में रार, येचुरी ने दिया दो बार इस्तीफा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 07:26 PM

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2019 के आम चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के अंदर घमासान शुरू हो गया है। पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर लड़ना चाहते हैं लेकिन पूर्व महासचिव प्रकाश करात नहीं चाहते कि...

नई दिल्लीः 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के अंदर घमासान शुरू हो गया है। पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर लड़ना चाहते हैं लेकिन पूर्व महासचिव प्रकाश करात नहीं चाहते कि सीपीएम कांग्रेस का हाथ थामे। इस पर दोनों नेताओं के बीच तल्खी काफी बढ़ गई है। सूत्रों का कहना है कि बीते 2 दिनों में येचुरी ने 2 बार पोलित ब्यूरो को इस्तीफा भेजा है। हालांकि पोलित ब्यूरो ने दोनों ही बार उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया।

बैठक में दोनों धड़ों के बीच का विवाद आया सामने
रविवार को कोलकाता में हुई केंद्रीय समिति की बैठक में दोनों नेताओं के प्रस्ताव पर वोटिंग कराई गई, जिसमें करात का गुट 55-31 के अंतर से जीत गया। पास किए गए इस प्रस्‍ताव को अप्रैल में हैदराबाद में होने वाली सीपीएम-कांग्रेस की बैठक में औपचारिक रूप से अपनाने के लिए रखा जाएगा। केंद्रीय कमेटी की तीन दिन तक चली बैठक में पार्टी के दोनों धड़ों के बीच का विवाद उभरकर सामने आया। इस दौरान प्रकाश करात और सीताराम येचुरी के बीच भी मतभेद नजर आया।

BJP को पराजित करने कांग्रेस से हाथ मिलाना जरूरी
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि येचुरी के महासचिव का पद धीरे-धीरे कमजोर पड़ता जा रहा है। प्रकाश करात के ड्राफ्ट को अप्रैल की मीटिंग में मंजूरी मिलने की पूरी संभावना है, क्योंकि सेंट्रल कमिटी में केरल यूनिट की सशक्त मौजूदगी है और केरल यूनिट पहले से ही करात के समर्थन में है। दोनों प्रस्ताव में यह कहा गया कि बीजेपी और आरएसएस ‘मौजूदा समय में देश के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं’ और इनको पराजित करने की जरूरत है। लेकिन येचुरी ने अपने प्रस्ताव में ये भी लिखा था कि वो देश की सभी लेफ्ट और लोकतांत्रिक शक्तियों (कांग्रेस सहित) का एक साथ इस्तेमाल चाहते हैं।

येचुरी बोले- इस महाभारत का कुरुक्षेत्र कांग्रेस पार्टी है
सूत्रों के मुताबिक, येचुरी ने इसलिए इस्तीफा देने का फैसला लिया, क्योंकि सेंट्रल कमिटी ने उनके विचारों को स्वीकार नहीं किया था। सीताराम येचुरी ने कहा, 'ड्राफ्ट रेजोल्यूशन पर फैसला लेने के लिए शनिवार और रविवार को पोलित ब्यूरो की मीटिंग चल रही थी। दोनों दिन मैंने अपना इस्तीफा पोलित ब्यूरो सेंट्रल कमिटी के सामने रखा। लेकिन, पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमिटी ने पार्टी की एकता के लिए सर्वसम्मति से मेरा इस्तीफा नामंजूर कर दिया। इसलिए पार्टी की भावना का मान रखते हुए मैं पद पर बना हुआ हूं। इस महाभारत का कुरुक्षेत्र कांग्रेस पार्टी है।'

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