Edited By ,Updated: 06 Nov, 2016 08:07 PM
दीवाली के बाद से ही दिल्ली-एनसीआर में छाई जहरीली स्मॉग ने लोगों को बेहाल कर रका है। हालांकि यह खतरनाक हवा खुद दिल्लीवासियों ने ही दीवाली पर बेहिसाब पटाखे चलाकर अपने ली इकट्ठी की है।
नई दिल्ली: दीवाली के बाद से ही दिल्ली-एनसीआर में छाई जहरीली स्मॉग ने लोगों को बेहाल कर रका है। हालांकि यह खतरनाक हवा खुद दिल्लीवासियों ने ही दीवाली पर बेहिसाब पटाखे चलाकर अपने ली इकट्ठी की है। दिल्ली सीएम ने आज इस पर बैटक कर इससे निपटने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। ऐसा नहीं है कि प्रदूषण सिर्फ भारत की ही समस्या है। अगर आपको याद हो कि बीते साल ऐसी ही स्मॉग ने चीन की राजधानी बीजिंग को भी अपनी चपेट में ले लिया था। हालांकि चीन ने इस दिशा में बीते एक साल में बड़ी तत्परता से काम किया और इस जहरीली हवा पर का स्तर कपध हद तक कम किया है।
चीन ने उठाए थे ये कदम
-चीन में कार्बन उत्सर्जन का मुख्य कारक कोयले का इस्तेमाल रहा है इसलिए उसने साल 2017 तक कोयले के इस्तेमाल में 70 प्रतिशत तक कटौती करने का लक्ष्य रखा है और उसने बीते एक साल में ही ये निर्भरता काफी कम कर दी है। चीन में अब ऊर्जा की जरूरतों को बिजली और गैर-जीवाश्म ईंधनों से पूरा करने की कोशिश की जा रही है। चीन में वैसी सभी लोहे, स्टील, सीमेंट और हैवी इंडस्ट्री को बंद किया जा रहा जो कोयले पर आधारित हैं। चीन ने 2020 तक कोयला मुक्त होने का लक्ष्य बनाया है।
-चीनी सरकार साल 2008 तक अपने यहां का वायु प्रदूषण का डाटा गुप्त रखती थी लेकिन जब उसने देखा कि बीजिंग और उसके बाकी बड़े शहरों का दम घुटने लगा है तो उसने ऑनलाइन एयर रिपोर्टिंग की व्यवस्था शुरू की। चीन में अब 1500 साइट्स से पल्यूशन के रियल टाइम आंकड़े हर घंटे जारी किए जाते हैं। चीनी सरकार भी नियमित तौर पर शहरों की एयर क्वॉलिटी की रैंकिंग जारी करती है। साथ ही लोगों को भी समय-समय पर ये डाटा चेक करते रहने की सलाह जारी की जाती है।
-1 जनवरी 2015 से चीन में पर्यावरण प्रोटेक्शन कानून सख्ती से लागू हैं। चीन में ये कानून अब इतना कड़ा है कि प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों पर जुर्माने करने की कोई सीमा नहीं रखी गई है। कई बड़ी कंपनियों पर जुर्माना भी लगाया गया। गैर-लाभकारी संगठन प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ जनहित मुकद्दमे दायर कर सकते हैं। स्थानीय सरकारों पर भी इन कानूनों को सख्ती से लागू कराने का दायित्व है। 2015 में चीन ने एक पर्यावरणविद को ही पर्यावरण मंत्री के पद पर बिठाया है।
-चीन ने सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए कड़े बंदोबस्त किए हैं। चीन ने 2017 तक ऐसी सभी गाड़ियों को सड़क से बाहर करने का लक्ष्य रखा है जो साल 2005 तक रजिस्टर्ड हुई हैं। चीन सरकार ने आने वाले 5 सालों में पेइचिंग, शंघाई और बीजिंग जैस शहरों में गाड़ियों की संख्या को निश्चित कर बड़ी कटौती करने की योजना बनाई हुई है।
अगर भारत भी चीन के कुछ नियमों को अपना ले तो काफी हद तक भारत भी प्रदूषण से छुटकारा पा सकता है। अगर नियमों को कड़े रूप से लागू किया जाए तो आने वाली पीढ़ियों के लिए खुली हवा में सासं सलेना आसान हो जाएगा।