Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jul, 2017 03:37 PM
सामरिक तौर पर बेहद अहम हंबनटोटा बंदरगाह को लेकर श्रीलंका और चीन के बीच समझौता हो गया है...
कोलंबोः सामरिक तौर पर बेहद अहम हंबनटोटा बंदरगाह को लेकर श्रीलंका और चीन के बीच समझौता हो गया है। 1.12 बिलियन डॉलर (करीब 72 अरब रुए) की इस डील के अंतर्गत श्रीलंका ने हंबनटोटा पोर्ट के 70 फीसद स्टेक चीन की एक फर्म को दे दिए हैं। यह समझौता भारत के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। श्रीलंका पोर्ट अथॉरिटी और चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग्स (CMPort) के बीच हुए इस सौदे के बाद चीनी फर्म को इस बंदरगाह के बहुसंख्यक हिस्सेदारी मिल गई है।
इस बंगरगाह को बनाने के लिए श्रीलंका ने जो भारी-भरकम कर्ज लिया था, उसे चुकाने के लिए अब उसने इस पोर्ट की हिस्सेदारी बेची है। इस डील में भारत के लिए सबसे राहत पहुंचाने वाली बात यह है कि इस बंदरगाह की सुरक्षा का दारोमदार उसकी अपनी नौसेना पर ही होगा। श्रीलंका ने चीन की नौसेना को इस पोर्ट की सुरक्षा में तैनात होने के लिए यहां बेस बनाने की अनुमति देने के इंकार कर दिया था। श्रीलंका के बंदरगाह मंत्री महिंदा समरसिंघे ने कहा कि किसी भी विदेशी नौसेना को यहां बेस बनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
माना जा रहा है कि उन्होंने इस सौदे के मद्देनजर पैदा हुई भारत की सामरिक चिंताओं को ध्यान में रखते हुए यह बयान दिया है। भारत इस सौदे को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। भारत का दक्षिणी क्षेत्र समुद्र के रास्ते श्रीलंका के साथ जुड़ा हुआ है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को इस डील पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा, 'हमारे देश के लिए यह एक बेहतर सौदा साबित हो रहा है, इससे हमारा कर्ज भी कम होगा।' उन्होंने कहा कि बंदरगाह की 70 फीसद इक्विटी ट्रांसफर करने से जो पैसा मिलेगा, उसे चीन का कर्ज चुकाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। श्रीलंका ने 99 साल के लीज़ पर CMPort को यह शेयर दिए हैं।