Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 02:35 PM
जीएसटी में सैनिटरी नैपकिन को 12 फीसदी टैक्स स्लैब में रखने पर विवाद जारी है। इसी सिलसिले में मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के कुछ छात्र-छात्रों ने सेनेटरी नैपकिन को टैक्स फ्री करने के लिए अभियान चलाया है। इसी के चलते महिलाओं ने 1000 से ज्यादा सेनेटरी...
नेशनल डेस्क: जीएसटी में सैनिटरी नैपकिन को 12 फीसदी टैक्स स्लैब में रखने पर विवाद जारी है। इसी सिलसिले में मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के कुछ छात्र-छात्रों ने सेनेटरी नैपकिन को टैक्स फ्री करने के लिए अभियान चलाया है। इसी के चलते महिलाओं ने 1000 से ज्यादा सेनेटरी नैपकीन प्रधानमंत्री को भेजने की तैयारी कर ली है। खास बात यह कि इन पर एक मैसेज भी लिखा हुआ है।
बता दें कि इस अभियान को चार जनवरी को शुरु किया गया था, उसके बाद इसे सोशल मीडिया पर काफी समर्थन मिल रहा है। कई छात्रों का कहना है कि सरकार को उनकी मांगे माननी चाहिए। इस अभियान के तहत छात्रों ने तीन मार्च तक सरकार को 1,000 पैड भेजने का लक्ष्य रखा है। ग्वालियर की रहने वाली प्रीति देवेंद्र जोशी ने पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान पर तंज कसते हुए कहा कि एक तरफ स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है तो दूसरी तरफ महिलाओं द्वारा मासिक धर्म के दौरान यूज किए जाने वाले सेनेटरी नैपकीन को 'लग्जरी सामान' में गिना गया है। उनका कहना है कि नैपकीन पहले ही महंगा था, ऐसे में उस पर टैक्स लगाने से अब यह और भी महंगा हो गया है।
प्रीति ने कहा कि जिस तरह से नैपकीन की दरें बढ़ी हैं उसे देखकर तो लग रहा है कि आने वाले वक्त में मध्यवर्ग की महिलाएं भी इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी, जिसका सीधा असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ेगा। अभियान को चलाने वाली महिलाओं को उम्मीद है कि पीएम मोदी उनकी जरूरतों को ध्यान में रखकर नैपकीन को जीसटी के दायरे से बाहर करने की कोशिश करेंगे।