Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 01:06 PM
आत्महत्या के बाद मृतक के परिजनों को मुआवजा और नौकरी सुनिश्चित करने के फैसले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को आड़े हाथ लिया है। कोर्ट ने असहमति जताते हुए कहा कि क्या दिल्ली सरकार यह परिपाटी बना रही है कि आत्महत्या कीजिए और 1 करोड़ रुपए मुआवजा...
नई दिल्ली: आत्महत्या के बाद मृतक के परिजनों को मुआवजा और नौकरी सुनिश्चित करने के फैसले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को आड़े हाथ लिया है। कोर्ट ने असहमति जताते हुए कहा कि क्या दिल्ली सरकार यह परिपाटी बना रही है कि आत्महत्या कीजिए और 1 करोड़ रुपए मुआवजा पाइए। यह टिप्पणी पूर्व सैनिक को शहीद का दर्जा देने, एक करोड़ रुपए की आर्थिक मदद व परिवार के एक सदस्य को नौकरी के फैसले पर आई। दरअसल पिछले साल नवम्बर में ‘वन रैंक, वन पैंशन’ (ओ.आर.ओ.पी.) की मांग कर रहे राम किशन ग्रेवाल ने कथित तौर पर कीटनाशक दवा खा ली थी। जहर खाने के बाद उसने बेटे को फोन लगाकर अपनी स्थिति भी बताई। इसका ऑडियो काफी वायरल भी हुआ।
2 जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने सवाल किया कि क्या दिल्ली सरकार ‘पैटर्न’ बना रही है कि आत्महत्या कीजिए और 1 करोड़ रुपए लीजिए। जब सरकार उनके परिवार को आर्थिक तौर पर मदद कर रही है तो अनुकम्पा के आधार पर नौकरी का सवाल कहां पैदा होता है, यह गलत है। दरअसल याचिकाकर्त्ताओं ने राम किशन ग्रेवाल को शहीद का दर्जा दिए जाने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी थी।