Edited By ,Updated: 18 May, 2017 07:15 PM
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात पिछले एक महीने में तीन अर्धसैनिक बलों के जवानों ने आत्महत्या की है।
रायपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात पिछले एक महीने में तीन अर्धसैनिक बलों के जवानों ने आत्महत्या की है। सूत्रों के मुताबिक ये तीनों जवान लंबे समय से इस इलाके में तैनात थे और मानसिक तौर से परेशान थे। बस्तर में तैनात जवानों के अनुसार इस इलाके में उन जवानों की तैनाती होती है जिन्हें उनके सीनियर सजा देना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर में केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान विपरीत प्रस्थितियों में काम करते हैं।
मच्छरों का भी है डर
नक्सलियों से निपटने की चुनौती के बीच उन्हें इस बात का भी ख्याल रखना पड़ता है कि कहीं मलेरिया के मच्छर न काट लें। इस डर की वजह से जवान गर्मी में भी मोटे कपड़े पहने रहते हैं। बस्तर में मलेरिया से पीड़ित जवानों की संख्या सर्वाधिक है। यहां कई जवानों की जान मस्तिष्क ज्वर और सेरेब्रल मलेरिया से जा चुकी है। इसके अलावा कई जवान डेंगू और हार्टअटैक का शिकार भी हुए हैं। छत्तीसगढ़ में पिछले 2 वर्षों में जवानों की आत्महत्या और बीमारी से होने वाली मौत की घटनाओं में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
अधिकारी नहीं करते समस्या का समाधान
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 में सीआरपीएफ के 5 जवानों ने आत्महत्या की जबकि 2016 में 31 जवानों ने आत्महत्या की। वर्ष 2017 के 15 अप्रैल तक की अवधि में सीआरपीएफ के 13 जवान आत्महत्या कर चुके हैं। बस्तर में तैनात जवानों की एक मुख्य शिकायत है कि उनके अधिकारी यहां आते हैं। उनकी परेशानियां और शिकायतें सुनते हैं फिर दिल्ली जाकर भूल जाते हैं।