सुकमा : नक्सल प्रभावित गांवों के दो बच्चों ने पकड़ी IIT की राह

Edited By ,Updated: 29 Apr, 2017 07:05 PM

sukma  two children of naxalite affected villages caught by iit

छत्तीसगढ के धुर नक्सल प्रभावित जिले सुकमा में नक्सली हमले में 25 सुरक्षा बल जवानों की शहादत के देश भर को हिलाने के एक सप्ताह के भीतर जिले ...

सुकमा: छत्तीसगढ के धुर नक्सल प्रभावित जिले सुकमा में नक्सली हमले में 25 सुरक्षा बल जवानों की शहादत के देश भर को हिलाने के एक सप्ताह के भीतर जिले से एक सुखद खबर आई है।  गुरुवार को घोषित जेईई मेंस के परिणामों में पहली बार जिले के धुर नक्सल प्रभावित दो सुदूर गांवों के दो किशोरों ने जगह बनाई है। प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद कुछ कर दिखाने की चाहत पाले इन दोनों किशोरों को जिला प्रशासन ने अपने खर्चें पर आवासीय शैक्षणिक संस्था आरोहण में दिल्ली की एक निजी कोङ्क्षचग सेंटर के माध्यम से परीक्षा की तैयारी करवाई थी।

जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर दुम्बाबाटोटा गांव के छात्र मड़कम दुला का परिवार इंदिरा आवास योजना से बने दो छोटे-छोटे कमरे में रहकर गुजारा करता है। पिता मड़कम देवा लगभग पांच एकड़ भूमि पर खेती करते हैं, जिससे सालभर का अनाज मिलता है। इसके अलावा परिवार तेंदूपत्ता, महुआ समेत अन्य वनोपज का संग्रहण करता है, जिससे खर्च चलता है।

दुला ने बताया कि उसने गांव में तीसरी पढऩे के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। वर्ष 2006 में नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुड़ूम अभियान शुरु हुआ, जिसके बाद पिता ने जबरन कोंटा के आश्रम में कक्षा तीसरी में उसका दाखिला करा दिया। 8वीं तक की पढ़ाई उसने कोंटा बालक आश्रम से की। गांव में हालात सामान्य होने के बाद लौट कर हाईस्कूल की पढ़ाई गांव से की। हायर सेकंडरी की पढ़ाई के साथ जिला मुख्यालय में आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित आवासीय शैक्षणिक संस्था आरोहण से शैक्षणिक करते हुए जेईई की तैयारी की।

जिला  मुख्यालय से लगभग किमी 15 दूर धुर नक्सल प्रभावित पंचायत नीलावरम के कवासी सोमड़ा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। गांव में दो-दो कमरे की दो झोपड़ी हैं, इन्हीं में से एक में सोमड़ा का परिवार रहता है। गांव में कुछ नहीं होने के कारण बड़ा भाई आंध्रप्रदेश जाकर बस गया। सोमड़ा अब पिता कवासी गंगा, मां भीमे और छोटी बहन के साथ रहता है। पूरी तरह वनोपज पर निर्भर परिवार के पास टीवी, साइकिल और मोबाइल कुछ भी नहीं है।   दो दिन पहले आए 12वीं के नतीजे में सोमड़ा 65 प्रतिशत अंक के साथ पास हुआ। जेईई मेंस में चयनित होने पर खुशी जाहिर करते हुए सोमड़ा ने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद $खराब है। इंजीनियर बनकर परिवार को आर्थिक तंगी से मुक्ति दिलाना है।

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