लव जेहाद: SC का बंद कमरे में बातचीत वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 12:24 PM

supreme court  love jihad  deepak mishra  am khanvilkar

उच्चतम न्यायालय ने केरल की उस महिला के पिता की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से आज इनकार कर दिया जिसने एक मुस्लिम व्यक्ति से निकाह करने से पहले इस्लाम कबूल लिया था। याचिका में कहा गया है कि महिला से बातचीत बंद कमरे में की जाए।   प्रधान न्यायाधीश दीपक...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने केरल की उस महिला के पिता की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से आज इनकार कर दिया जिसने एक मुस्लिम व्यक्ति से निकाह करने से पहले इस्लाम कबूल लिया था। याचिका में कहा गया है कि महिला से बातचीत बंद कमरे में की जाए।   प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और  न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह 27 नवंबर को इस याचिका पर सुनवाई करेगी जब बातचीत के लिए महिला को उसके समक्ष पेश किया जाएगा।  महिला के पिता अशोकन के. एम. के वकील ने उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। 

उन्होंने कहा कि अगर खुली अदालत में सुनवाई करने के उसके पूर्व के आदेश में संशोधन नहीं किया गया तो यह निष्फल हो जाएगा।  शीर्ष न्यायालय ने 30 अक्तूबर को निर्देश दिया था कि महिला को 27 नवंबर को खुली अदालत में बातचीत के लिए पेश किया जाए। अशोकन ने अपने आवेदन में कहा है कि चूंकि यह मामला पक्षकारों की सुरक्षा सहित सांप्रदायिक रूप में संवेदनशील मुद्दों से संबंधित है, इसलिए पूरी संजीदगी से यह महसूस किया जा रहा है कि प्रतिवादी और उसके परिवार की सुरक्षा और निजता के हित में बंद कमरे में बातचीत करना उचित होगा।  

शीर्ष अदालत ने 16 अगस्त को कहा था कि इस मामले में अंतिम निर्णय करने से पहले महिला से बंद कमरे में बात की जायेगी। परंतु बाद में इस आदेश में सुधार कर दिया गया। इसमें कहा गया, ‘‘हम यह जोड़ रहे हैं कि यह न्यायालय बंद कमरे के बजाए खुली अदालत में बात करेगा’’  शीर्ष अदालत ने पहले टिप्पणी की थी कि वयस्क की स्वेच्छा से विवाह के लिये सहमति के बारे में जानकारी प्राप्त करनी होगी। इस संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेन्सी का कहना था कि सिखाया पढ़ाया गया व्यक्ति विवाह के लिये स्वेच्छा से सहमति देने में असमर्थ होता है।  

राष्ट्रीय जांच एजेन्सी ने ‘मनोवैज्ञानिक अपहरण’ का जिक्र करते हुये कहा था कि सिखाया पढ़ाया गया व्यक्ति स्वेच्छा से सहमति देने में असमर्थ हो सकता है। उसने भी कहा था कि केरल में एक सुनियोजित तंत्र लोगों को सिखाने-पढ़ाने और कट्टरता की गतिविधियों में संलिप्त है और इस तरह के 89 मामले सामने आ चुके हैं। जांच एजेन्सी ने दावा किया है कि यह एक ऐसा मामला है जिसमे युवती को सिखाया पढ़ाया गया और इसलिए न्यायालय पितृ सत्ता का इस्तेमाल कर सकता है भले ही महिला वयस्क ही हो।  इस महिला के पिता के वकील ने पहले दावा किया था कि उसकी बेटी का कथित पति शफीन जहां एक कट्टर व्यक्ति है और उसके आईएसआईएस में भर्ती कराने वाले लोगों से संबंध हैं।  

इस हिन्दू महिला ने इस्लाम धर्म कबूल करने के बाद जहां से शादी कर ली थी। आरोप है कि इस महिला को सीरिया में इस्लामिक स्टेट मिशन द्वारा भर्ती किया गया था और जहां तो केवल एक गुर्गा ही है।  जहां ने धर्म परिवर्तन के बाद हिन्दू युवती के उसके साथ विवाह के विवादास्पद मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को सौंपने के शीर्ष अदालत का 16 अगस्त का आदेश वापस लेने का अनुरोध करते हुये 20 सितंबर को न्यायालय में एक आवेदन दायर किया था।  

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!