राजीव हत्याकांड: पेरारीवलन की याचिका पर CBI को नोटिस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jan, 2018 12:20 PM

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उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे एजी पेरारीवलन की याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से आज जवाब तलब किया।  न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पेरारीवलन के वकील की दलीलें सुनने के बाद सीबीआई को नोटिस जारी...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे एजी पेरारीवलन की याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से आज जवाब तलब किया।  न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पेरारीवलन के वकील की दलीलें सुनने के बाद सीबीआई को नोटिस जारी किया। न्यायालय ने जवाब के लिए जांच एजेंसी को तीन सप्ताह का समय दिया है। आजीवन कारावास की सजा काट रहे पेरारीवलन ने शीर्ष अदालत से उसे दोषी ठहराये जाने के 1999 के फैसले को वापस लेने की मांग की है।  12 दिसंबर 2017 को हुई सुनवाई के दौरान भी न्यायालय ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड की जांच में सीबीआई कुछ भी हासिल नहीं कर सकी है। 

एजेंसी को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा था कि एमडीएमए (मल्टी डिसीप्लनरी मॉनिटरिंग एजेंसी) की विवेचना से लगता नहीं कि यह कभी खत्म होगी। न्यायालय ने इसके बाद आज तक के लिए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी।  उससे पहले की सुनवाई के दौरान अदालत ने राजीव हत्याकांड में पेरारीवालन की अपील पर केंद्र सरकार से अपना पक्ष दो सप्ताह के भीतर रखने को कहा था। उसकी मांग है कि सीबीआई जांच पूरी होने तक उसकी सजा बर्खास्त की जाये।  पेरारीवालन की मौत की सजा को न्यायालय पहले ही उम्रकैद में तब्दील कर चुका है। उसने अपनी अपील में कहा है कि उसे नौ वोल्ट की दो बैटरी सप्लाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 

सीबीआई का तर्क है कि इनका इस्तेमाल राजीव गांधी की हत्या के लिए विस्फोटक आईईडी (इंप्रूवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइज) बनाने में किया गया था।  करीब 26 साल से जेल में बंद पेरारीवालन का कहना है कि सीबीआई की एमडीएमए आईईडी से जुड़ी जांच कर रही है। उसका अनुरोध है कि जब तक जांच मुकम्मल न हो जाये, तब तक उसकी सजा को बर्खास्त किया जाये। उसकी दलील है कि उसे यह नहीं पता था कि जो बैटरी वह सप्लाई कर रहा है उनका इस्तेमाल राजीव गांधी की हत्या के लिए किया जायेगा। उसका कहना है कि तमिलनाडु सरकार उसकी सजा को माफ करने का फैसला कर चुकी है। केंद्र से अनुमति की अपील पिछले दो साल से लंबित है। सीबीआई 18 साल से जांच कर रही है, पर निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है।   गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को तीन दोषियों की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील किया था, जिनमें याचिकाकर्ता के अलावा सांथन एवं मुरुगन भी शामिल हैं। (वार्ता)

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