Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 09:31 PM
सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाए जाने के संबंध में केंद्र सरकार को स्पष्ट नीति बनाने और इसके लिए राष्ट्रीय ध्वज संहिता में उचित संशोधन करने की सलाह दी है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई...
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाए जाने के संबंध में केंद्र सरकार को स्पष्ट नीति बनाने और इसके लिए राष्ट्रीय ध्वज संहिता में उचित संशोधन करने की सलाह दी है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र सरकार से सोमवार को कहा कि वह देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाए जाने संबंधी उसके अंतरिम आदेश से प्रभावित हुए बिना इस बारे में विचार करें।
इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष रखते हुए एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि भारत एक विविधता वाला देश है और एकरूपता लाने के लिए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना जरूरी है। इस पर खंडपीठ ने सरकार से सवाल किया कि आखिर क्यों वह राष्ट्रगान को लेकर स्पष्ट नीति नहीं बना रही है? न्यायालय ने कहा, केंद्र सरकार को इस मामले में विचार करना चाहिए। सरकार को राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन को लेकर किसी प्रकार की आनाकानी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अदालत अपने कंधे पर बंदूक रखकर सरकार को चलाने नहीं देगी।
खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अगले वर्ष नौ जनवरी की तारीख तय की है। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि नौ जनवरी से पहले राष्ट्रगान बजाने के नियमन के लिए ध्वज संहिता में संशोधन पर विचार कर ले। न्यायालय ने श्याम नारायण चोकसी की जनहित याचिका पर गत वर्ष के अंत में अंतरिम आदेश जारी करते हुए सभी सिनेमाघरों में फिल्मों का प्रदर्शन शुरू होने से पहले अनिवार्य रूप से राष्ट्रगान बजने व इस दौरान दर्शकों को खड़ा होना अनिवार्य कर दिया था।