स्वलीनता से पीड़ित बच्चों के लिए अलग स्कूल क्यों नहीं: SC

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Oct, 2017 09:02 AM

supreme court justice dhananjay y chandrachud deepak mishra prashant shukla

उच्चतम न्यायालय ने स्वलीनता और बधिरता से पीड़ित बच्चों के लिए अलग स्कूलों और विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी पर आज सवाल उठाए।  शीर्ष अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि यह सोचना ही असंभव है कि किसी न किसी प्रकार की दिव्यांगता...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने स्वलीनता और बधिरता से पीड़ित बच्चों के लिए अलग स्कूलों और विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी पर आज सवाल उठाए।  शीर्ष अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि यह सोचना ही असंभव है कि किसी न किसी प्रकार की दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ मुख्य धारा के स्कूलों में शिक्षा प्रदान की जा सकती है।  प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने को संविधान के अनुच्छेद 21ए के अंतर्गत मौलिक अधिकार माना गया है और नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का बच्चों का अधिकार कानून, 2009 के तहत राज्यों का यह वैधानिक कर्तव्य है।  

पीठ ने कहा, ‘‘पहली नजर में हमारा मानना है कि विशेष जरूरत वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिये विशेष शिक्षक ही नहीं बल्कि उनके लिये विशेष स्कूलों का होना भी जरूरी है।’’  पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को उसकी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुये चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है जिसमें यह स्पष्ट किया जाये कि राज्य कब तक इस जिम्मेदारी को पूरा करेगा। साथ ही न्यायालय ने इस मामले को 27 नवंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया।  

पीठ ने कहा, ‘‘जब हम ‘दिव्यांगता’ कहते हैं, तो हमारा तात्पर्य दिव्यांगता से प्रभावित व्यक्तियों के अधिकार कानून, 2016 में परिभाषित ‘दिव्यांगता’ से नहीं है। इस कानून में कुछ शारीरिक अक्षमतायें शामिल हैं जिनकी विशेष स्कूल में प्रवेश के लिए आवश्यकता नहीं होती है।’’   पीठ ने ऐसे बच्चों के लिये अलग व्यवस्था पर जोर देते हुए कहा कि बधिरता और स्वलीनता या ऐसी ही अन्य समस्या से ग्रस्त बच्चों के लिए अलग स्कूल और विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता है।  

 न्यायालय वकील प्रशांत शुक्ला के माध्यम से दायर रजनीश कुमार पांडे की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिये पर्याप्त संख्या में विशेष शिक्षकों का अभाव है।  उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि राज्य सरकार ऐसे बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में 12000 शिक्षकों की सेवाएं लेने की प्रक्रिया शुरू की है। इनमें से कुछ शिक्षक विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए भी होंगे।  

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!