Edited By ,Updated: 26 Apr, 2017 10:56 AM
एशिया में बढ़ते सामरिक तनाव और चीन द्वारा युद्ध के लिए कमर कसने की रिपोर्टाें के बीच भारत ने अपनी तीनों सेनाओं एवं साइबर विशेषज्ञों के समन्वित इस्तेमाल से दुश्मन की किसी भी चुनौती से निपटने वाले नए संयुक्त सामरिक सिद्धांत को जारी किया।
नई दिल्ली: एशिया में बढ़ते सामरिक तनाव और चीन द्वारा युद्ध के लिए कमर कसने की रिपोर्टाें के बीच भारत ने अपनी तीनों सेनाओं एवं साइबर विशेषज्ञों के समन्वित इस्तेमाल से दुश्मन की किसी भी चुनौती से निपटने वाले नए संयुक्त सामरिक सिद्धांत को जारी किया। इसमें देश के सामने मौजूद अंतर्राष्ट्रीय खतरों, जम्मू कश्मीर और देश के विभिन्न हिस्सों में माओवाद जैसे ‘छद्म युद्धों’ जैसी चुनौतियों को सूचीबद्ध किया गया है। इसमें संकेत दिए गए हैं कि आतंकवाद विरोधी अभियानों में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ प्रमुख विशेषता हो सकती है।तीनों सैन्य प्रमुखों की समिति के अध्यक्ष नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने संशोधित भारतीय सशस्त्र सेनाओं का संयुक्त सामरिक सिद्धांत-2017 को यहां जारी किया। इस मौके पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ भी मौजूद थे।
एडमिरल लांबा ने कहा कि सशस्त्र सेनाओं की ‘संयुक्तता एवं एकजुटता’ आज के समय में जीवन के सबसे आवश्यक अंगों में से एक है इसलिए इस सिद्धांत को जारी करने का इससे बढिय़ा समय कोई और नहीं हो सकता था। संयुक्त सामरिक सिद्धांत देश की सैन्य ताकत, दक्षता को बढ़ाने, संसाधनों का अधिकतम उपयोग एवं वित्तीय बचत को सुनिश्चित करने वाला भारतीय सशस्त्र सेनाओं का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होगा। इससे संघर्ष के सभी डोमेन- भूमि, वायु, समुद्र, अंतरिक्ष एवं साइबर स्पेस, में सशस्त्र सेनाओं द्वारा संयुक्त रूप से योजना बना कर अभियान चलाने को लेकर सैद्धांतिक अवधारणाओं का एक व्यापक फ्रेमवर्क स्थापित होगा। यह तीनों सेनाओं के लिये एक दिशानिर्देशक दस्तावेका के रूप में बहुत उपयोगी होगा।
उल्लेखनीय है कि भारत ने नए संयुक्त सामरिक सिद्धांत को ऐसे समय जारी किया है जब एशिया में सैन्य टकराव की स्थितियां गहरा रहीं हैं। उत्तर कोरिया और प्रशांत महासागर में अमेरिकी युद्धक बेड़े के बीच तनाव चरम पर है। सीरिया में अमेरिका एवं रूस के बीच सीधे टकराव के हालात बन रहे हैं। अफगानिस्तान में अमेरिका द्वारा सबसे बड़ा गैरपरमाणु बम गिराए जाने के बाद के हालात और इसी बीच चीन के राष्ट्रपति द्वारा अपनी सेना को किसी भी वक्त युद्ध के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया जाना इस महाद्वीप की शांति एवं स्थिरता में खलल आने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। इन परिस्थितियों में भारत की सैन्य तैयारियों को भी चाक चौबंद करना समय की मांग है।