'मरे हुए व्यक्ति' ने की सुषमा को किडनी की पेशकश

Edited By ,Updated: 24 Nov, 2016 09:11 AM

sushma swaraj

एक ‘मृत’ व्यक्ति ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को अपनी किडनी दान देने की पेशकश की है। सुषमा की एक किडनी फेल हो चुकी है। इसके बदले में उसने विदेश मंत्री से इस बात को प्रमाणित करने का प्रमाण पत्र मांगा है कि वह अभी ‘जिंदा’ है।

नई दिल्ली: एक ‘मृत’ व्यक्ति ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को अपनी किडनी दान देने की पेशकश की है। सुषमा की एक किडनी फेल हो चुकी है। इसके बदले में उसने विदेश मंत्री से इस बात को प्रमाणित करने का प्रमाण पत्र मांगा है कि वह अभी ‘जिंदा’ है।संतोष मूर्त सिंह पिछले 10 वर्षों से मृत व्यक्ति के रूप में जीवन व्यतीत कर रहा है। मगर सुषमा को किडनी दान देने के लिए वह सार्वजनिक रूप में आना चाहता है। संतोष की कहानी बहुत ही आश्चर्य भरी है। वह एक समय अभिनेता नाना पाटेकर के घर रसोइए का काम करता था। उसने अंतर जातीय विवाह किया था। उसके रिश्तेदारों ने उसे मृत करार दे दिया और उसकी पुश्तैनी सम्पत्ति को हड़प लिया।

मुम्बई में जाने के बाद नाना पाटेकर के घर में काम करते समय संतोष ने 2003 में महाराष्ट्र की एक दलित महिला के साथ विवाह कर लिया। जब वह वाराणसी में अपने पैतृक गांव पहुंचा तो उसके रिश्तेदारों ने उससे मारपीट की और उसे घर से बाहर निकाल दिया। संतोष ने आरोप लगाया कि रिश्तेदारों के इस दुर्व्यवहार के बाद वह वापस मुम्बई लौट गया। 6 महीने बाद मुझे मालूम हुआ कि मेरा अंतिम संस्कार कर दिया गया और मौत का प्रमाण पत्र भी मेरे रिश्तेदारों ने बनवा लिया। मेरे सारे दस्तावेज नष्ट कर दिए गए। अधिकारियों को यह बताना मेरे लिए कठिन हो गया कि मैं जिंदा हूं क्योंकि मेरे पास अपने जिंदा होने का कोई ठोस सबूत नहीं था।

मैं अपने गांव वापस लौट आया और पुलिस से मदद चाही। मगर कोई भी आगे नहीं आया। मैं वकीलों के पास गया तो उन्होंने रुपए मांगे जो मेरे पास नहीं थे। मैंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी स्थिति बताई मगर मेरी मदद को कोई आगे नहीं आया। वह पिछले 4 वर्षों से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहा है। कई प्रभावशाली लोगों ने उसकी मदद करने का आश्वासन दिया, मगर आज तक मुझे कोई भी पहचान का प्रमाण पत्र नहीं दिलवा सका। संतोष ने दावा किया कि एक बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मामले में हस्तक्षेप किया और हजरतगंज पुलिस स्टेशन में एफ.आई.आर. दर्ज करवाई, मगर केस नहीं चला। मेरे पास अब जंतर-मंतर पर बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। मुझे आशा है कि हमारी ईमानदार राजनेता सुषमा स्वराज तथाकथित मृत व्यक्ति की दयनीय स्थिति पर ध्यान देगी।

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