Edited By ,Updated: 18 Nov, 2016 01:57 AM
पंजाब विधानसभा में 100 के करीब सदस्यों को पहुंचाने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की लीडरशिप को एस.वाई.एल. के झटके ने चिंता में डाल दिया है।
चंडीगढ़, (रमनजीत): पंजाब विधानसभा में 100 के करीब सदस्यों को पहुंचाने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की लीडरशिप को एस.वाई.एल. के झटके ने चिंता में डाल दिया है। इस मुद्दे पर शिअद और कांग्रेस के जोरदार शक्ति प्रदर्शन में एक तरह हाशिए पर पहुंची ‘आप’ की चिंता का कारण यह भी है कि जिस मुद्दे पर तकरीबन पूरा पंजाब चर्चा कर रहा है, उसी मुद्दे को लेकर पटियाला के गांव कपूरी में लगाए गए ‘आप’ के धरने को रिस्पांस क्यों नहीं मिला।
बहरहाल, आप नेताओं द्वारा एस.वाई.एल. पर भी पार्टी लीडरशिप को ‘रैलेवेंट’ रखने की कोशिश जारी रखी गई, लेकिन गाड़ी ट्रैक पर चढ़ नहीं पाई है। उधर, इस मुद्दे पर लगातार चुप्पी साधे अरविंद केजरीवाल का पंजाब दौरा फिर से रद्द होने के पीछे भी एस.वाई.एल. मुद्दा ही बताया जा रहा है।
यह संभावना प्रबल होती जा रही है कि आगामी चुनावों में भी यही मुद्दा सबसे बड़ा बनेगा। इसकी आड़ में पंजाब में आम आदमी पार्टी द्वारा उठाए नशा, लैंड-सैंड माफिया वगैरह के मुद्दे फिलहाल गौण नजर आने लगे हैं। हर गली-नुक्कड़ में एस.वाई.एल. और नोटबंदी की ही चर्चा है। ‘आप’ के रणनीतिकारों को इस मु्द्दे द्वारा पंजाब में हुए रिएक्शन ने हैरान किया है, क्योंकि जिन दोनों बड़ी पार्टियों के खिलाफ लगातार प्रहार करते हुए ‘आप’ ने बढ़त बनाई थी, वहीं दोनों इस मुद्दे पर ‘आप’ से कहीं आगे खड़ी दिखाई दे रही हैं।