Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Feb, 2018 08:35 AM
तमिलनाडु में केंद्र विकट समस्या में फंसा हुआ है क्योंकि मद्रास हाईकोर्ट अगले सप्ताह अन्नाद्रमुक के उन 18 विधायकों के भविष्य के बारे में फैसला देने वाला है जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए अयोग्य करार दिया है।
नेशनल डेस्कः तमिलनाडु में केंद्र विकट समस्या में फंसा हुआ है क्योंकि मद्रास हाईकोर्ट अगले सप्ताह अन्नाद्रमुक के उन 18 विधायकों के भविष्य के बारे में फैसला देने वाला है जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए अयोग्य करार दिया है। इन विधायकों ने हाईकोर्ट में यह दलील दी है कि उन्होंने अन्नाद्रमुक के खिलाफ वोट नहीं दिया और केवल तमिलनाडु के राज्यपाल को यह बताया है कि उनका मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विश्वास नहीं है। राज्यपाल ने उनका ज्ञापन अध्यक्ष को भेज दिया जिन्होंने उनको अयोग्य करार दे दिया। इन विधायकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि उन्होंने दल-बदल कानून का उल्लंघन नहीं किया क्योंकि उन्होंने विधानसभा में सरकार के खिलाफ वोट नहीं दिया।
अदालत के इस फैसले का ई.पी.एस. पलानीस्वामी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक सरकार के भविष्य पर सीधा असर पड़ेगा। अगर हाईकोर्ट इन विधायकों की अयोग्यता को बरकरार रखता है तो पलानीस्वामी के लिए कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि 234 सदस्यीय विधानसभा में उनके पास 117 एम.एल.ए. का समर्थन है। अगर इन विधायकों की अयोग्यता की पुष्टि हो जाती है तो विधायकों की संख्या कम होकर 216 रह जाएगी। अगर हाईकोर्ट द्वारा विधायकों की अयोग्यता को नामंजूर कर दिया जाता है तो सरकार के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है क्योंकि ये विधायक विपक्षी दल द्रमुक (89), कांग्रेस (8) और 3 अन्य विधायकों के साथ मिल जाएंगे जिससे विपक्ष के सदस्यों की संख्या 117 हो जाएगी।
टी.टी.वी. दिनाकरण ने आर.के. नगर सीट जीती थी और उनको पलानीस्वामी कैम्प में कई विधायकों का समर्थन प्राप्त है इसलिए अन्नाद्रमुक सरकार का बचना कठिन होगा। इससे मोदी सरकार के लिए भी समस्याएं पैदा हो जाएंगी क्योंकि वह विधानसभा के ताजा चुनाव नहीं चाहती और न ही द्रमुक के सत्तारूढ़ होने के पक्ष में है। मोदी की कवायदों के बावजूद द्रमुक कांग्रेस और वामदलों का साथ नहीं छोड़ेगी, माकपा ने बेशक कह दिया है कि उसका कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा। इस संदर्भ में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित कई बार चेन्नई और दिल्ली के बीच चक्कर लगा चुके हैं। मोदी का अन्नाद्रमुक और द्रमुक को भ्रष्टाचारी बताकर रजनीकांत के साथ गठजोड़ करने से उन्हें कोई लाभ नहीं होने वाला। मोदी सरकार राज्य में मध्यावधि चुनाव नहीं चाहती।