BJP के खिलाफ खड़ी हुई TDP, जानिए मोदी सरकार पर पड़ेगा कितना असर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Mar, 2018 03:32 PM

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तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने आज औपचारिक रूप से राजग छोड़ने का फैसला ले लिया। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर पार्टी के दो नेताओं के नरेंद्र मोदी की सरकार से हटने के कुछ दिनों बाद ही यह निर्णय लिया गया है। आधिकारिक विज्ञप्ति...

नई दिल्लीः तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने आज औपचारिक रूप से राजग छोड़ने का फैसला ले लिया। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर पार्टी के दो नेताओं के नरेंद्र मोदी की सरकार से हटने के कुछ दिनों बाद ही यह निर्णय लिया गया है। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि राज्य के साथ हुए अन्याय के मद्देनजर पार्टी मोदी सरकार के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। टीडीपी के इस फैसले के बाद से ही मंथन शुरू हो गया है कि इससे भाजपा पर कितना असर पड़ेगा। भाजपा जहां 2019 की तैयारी कर रही है वहीं 2018 में अचानक ही उसे एक के बाद एक झटके मिल रहे हैं। उपचुनावों में मिल रही हार के बाद पार्टी की सीटें 283 से घटकर 272 तक पहुंच गई है। ऐसे में टीडीपी के एनडीए से बाहर आने पर सदन में कैसी स्थिति होगी इस पर सभी की निगाहें हैं।

एक नजर सदन में सांसदों की संख्या पर
-लोकसभा में भाजपा के अभी 272 सांसद हैं।
-भाजपा के सहयोगी दलों के रूप में शिवसेना से 18, एलजेपी से 6, अकाली दल से 4, आरएलएसपी से 3, जेडीयू से 2, अपना दल के 2, पीडीपी का एक, एसडीएफ का एक और एनपीपी का एक सांसद है।
-TDP के लोकसभा में 16 और राज्यसभा में 6 सांसद हैं। ऐसे में उसके कुल सांसदों की संख्या 22 है।
-टीडीपी के एनडीए से अलग होने पर भाजपा के 328 में से सिर्फ 312 सदस्य रह जाएंगे।

राज्यसभा में भाजपा के सामने चुनौती
लोकसभा में एनडीए को टीडीपी के बाहर होने का इतना फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन  राज्यसभा में सरकार के लिए दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। सरकार को बिल पास करवाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि सदस्यों की संख्या कम होने पर भाजपा को इसके लिए अब कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के बाद से ही भाजपा की सहयोगी शिवसेना सरकार के विरुद्ध खुलकर बोलती आ रही है। ऐसे में टीडीपी भी अब विपक्ष में आ जाएगी। सरकार को सबसे बड़ी फजीहत भी झेलनी पड़ेगी कि वह अपने सहयोगियों के तालमेल नहीं बिठा पाई।

अविश्वास प्रस्ताव के लिए 50 सदस्यों की सहमति जरूरी
तेदेपा मोदी सरकार के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। इसके लिए कम से कम 50 सदस्य जरूरी होते हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर अगर भाजपा की स्थिति देखी जाए तो अभी भी उसके पास पर्याप्त सदस्यों की संख्या है। इस हिसाब से सदन में भाजपा अब भी अकेले बहुमत में है। हालांकि टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव को वाईएसआर भी समर्थन देने की बात कह रही है। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा की स्थिति थोड़ी कमजोर पड़ सकती है।

2014 के बाद अब तक हुए 19 उपचुनाव
2014 के बाद अब तक 19 उपचुनाव हो चुके हैं जबकि तीन और सीटों पर उपचुनाव होना अभी बाकि है। दो महाराष्ट्र की, एक यूपी की सीट पर भाजपा को उपचुनाव का सामना करना पड़ेगा। महाराष्ट्र में पालघर से सांसद चिंतामन वनगा का 30 जनवरी 2018 को निधन हो गया था,  दिसंबर 2017 में भंडारा गोंदिया सीट से नाना पटोले ने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था, तब से यह सीटें खाली हैं। वहीं यूपी की कैराना सीट से सांसद हुकुम सिंह का बीते माह 4 फरवरी को निधन हो गया था। इस सीट पर भी उपचुनाव होना है।

विधानसभा चुनाव पर असर
कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं उपचुनावों में मिली हार और सहयोगी दलों की नाराजगी का असर आगामी विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए 2019 में पिर से सत्ता पर काबिज होने का सपना कहीं अधूरा न रह जाए।

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