पचास रुपए का टेलीग्राम और दो इस्तीफे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jan, 2018 02:54 PM

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ऐसे समय पर, जब करोड़पति सांसदों,विधायकों की संख्या लगातार बढ़़ती जा रही है, देश में कभी एक ऐसा नेता भी हुआ, जिसे पैंतीस रुपए का टेलीग्राम करना तक भारी पड़ा था। 1950-60 के दशक में दो बार विधायक और एक बार सांसद चुने गए आदिवासी नेता लाल श्याम शाह ने...

नई दिल्ली:  ऐसे समय पर, जब करोड़पति सांसदों,विधायकों की संख्या लगातार बढ़़ती जा रही है, देश में कभी एक ऐसा नेता भी हुआ, जिसे पैंतीस रुपए का टेलीग्राम करना तक भारी पड़ा था। 1950-60 के दशक में दो बार विधायक और एक बार सांसद चुने गए आदिवासी नेता लाल श्याम शाह ने कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया और आदिवासियों के मुद्दों पर बार बार इस्तीफा दिया था। विधायक बनने के बाद शाह ने मध्य भारत में जंगलों की अवैध कटाई का मुद्दा लगातार उठाया और मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक को टेलीग्राम कर इसकी शिकायत की। शिकायत अनसुनी रही और शाह ने इस्तीफा दे दिया।   

विधानसभा अध्यक्ष को भेजे एक टेलीग्राम में शाह ने जिक्र किया कि किस तरह उन्होंने पहले पंद्रह रुपए खर्च कर वन मंत्री को टेलीग्राम भेजा और फिर बाद में पैंतीस रुपए खर्च कर मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को टेलीग्राम भेजा था। इस अनोखे आदिवासी नेता का जन्म 1919 में छत्तीसगढ़ में हुआ था, जिनकी अगले वर्ष जन्म शताब्दी है। 1951 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में वह राजनांदगांव जिले की चौकी विधानसभा क्षेत्र से हार गए थे, लेकिन उनकी याचिका पर वहां दोबारा चुनाव कराने पड़े थे। 

स्वतंत्र भारत का यह दिलचस्प मामला है, जब इस विधानसभा सीट पर पांच साल के कार्यकाल के दौरान चार बार चुनाव कराने पड़े। शाह ने ये सारे चुनाव कांग्रेसी उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय की हैसियत से लड़े थे। 

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