अब हुर्रियत नेताओं की आई शामत, टेरर फंडिंग केस में NIA को मिले 'पुख्ता सबूत'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Oct, 2017 04:47 PM

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आरोपियों के खिलाफ गवाहों ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराए हैं जो अदालत में मान्य होते हैं

नई दिल्लीः टेरर फंडिग केस में एनआईए को आखिरकार हुर्रियत नेताओं के खिलाफ 'पुख्ता सबूत' मिल गए हैं। इन सबूतों के आधार पर अब सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक जैसे बड़े अलगाववादी नेताओं पर सुरक्षा एजेंसी का शिकंजा और ज्यादा कड़ा हो जाएगा। 

बताया जा रहा है कि इस केस के पांच आरोपियों के खिलाफ गवाहों ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराए हैं जो अदालत में मान्य होते हैं। बयान में गवानों ने बताया कि किस तरह हुर्रियत के टॉप नेताओं ने पाकिस्तान से कश्मीर में आतंक और हिंसा फैलाने के लिए फंड हासिल किया।

साथ ही गिरफ्तार किए गए एक शख्स के घर से छापे के दौरान एनआईए को कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो हवाला के जरिए पाकिस्तान स्थित स्रोतों से हुर्रियत नेताओं तक फंड पहुंचाए जाने की पूरी दास्तांन बयां कर रहे हैं। अब अदालत में ये दस्तावेज हुर्रियत नेताओं को बेनकाब करने के लिए काफी होंगे।

सूत्रों के मुताबिक, इस केस में गिरफ्तार किए गए कुछ अन्य लोगों ने भी मैजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने की इच्छा जाहिर की है। हालांकि एनअाईए उन्हें गवाह बनाए जाने के पक्ष में नहीं, वह उन्हें केस में आरोपी के तौर पर ही देखना चाहती है।

वहीं, जानकारों का कहना है कि धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयान और दस्तावेजी सबूतों के आधार पर हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी, नरम माने जाने वाले हुर्रियत चीफ मीरवाइज उमर फारूक और जेकेएलएफ चीफ यासीन मलिक पर शिकंजा कसा जा सकता है। 
 

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