Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 10:09 AM
पिछले कुछ समय में बारामूला जिले में उड़ी ब्रिगेड मुख्यालय, साम्बा जिले में सैन्य शिविर, जम्मू जिले में नगरोटा सैन्य शिविर और अब सुंजवां ब्रिगेड मुख्यालय सहित कई सैन्य ठिकानों में घुस कर आतंकवादियों ने लगभग एक जैसी रणनीति के तहत सुबह के समय फिदायीन...
जम्मू(बलराम): पिछले कुछ समय में बारामूला जिले में उड़ी ब्रिगेड मुख्यालय, साम्बा जिले में सैन्य शिविर, जम्मू जिले में नगरोटा सैन्य शिविर और अब सुंजवां ब्रिगेड मुख्यालय सहित कई सैन्य ठिकानों में घुस कर आतंकवादियों ने लगभग एक जैसी रणनीति के तहत सुबह के समय फिदायीन हमले किए, लेकिन अभी तक ऐसे हमलों की रोकथाम के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बन पाई है। प्रारम्भिक जांच में यही सामने आया है कि आतंकवादी सुबह के समय प्रहरी जवानों की सुस्ती का लाभ उठा कर सैन्य ठिकानों में घुसे और अपने मंसूबों को अंजाम दिया। सुंजवां ब्रिगेड मुख्यालय पर हुआ हमला पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले से मेल खाता है, क्योंकि इन दोनों ही हमलों में आतंकियों द्वारा जल निकासी पाइप के जरिए परिसर में घुसने की आशंका व्यक्त की गई है।
मेल खाते हमले, समय एक जैसा
1. उड़ी ब्रिगेड मुख्यालय पर हमला
2. साम्बा में सैन्य शिविर पर अटैक
3. नगरोटा सैन्य शिविर हमला
4. सुंजवां ब्रिगेड मुख्यालय हमला
5. पठानकोट एयरबेस हमला
लकीर पीटने’ की बजाय ठोस रणनीति बने
ऐसे में सेना को भी अपनी प्राथमिकताएं बदलनी होंगी। हमारी सेना को जांच प्रक्रिया के नाम पर केवल ‘सांप निकलने के बाद लकीर पीटने’ की बजाय ठोस रणनीति के तहत सुबह के समय प्रहरी जवानों की शिफ्ट बदलने एवं निकासी पाइपों के जरिए आतंकियों की एंट्री पर रोक सहित तमाम उपायों पर विचार करने की जरूरत है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि पिछले कुछ फिदायीन हमलों को देखते हुए हमें आतंकवादियों की नहीं, बल्कि अपनी सेना की कार्यशैली की समीक्षा करने की जरूरत है।