देश का मूड आज भी मोदी के साथ...चुनाव हुए तो फिर बनेंगे पीएम

Edited By ,Updated: 27 Jan, 2016 07:52 PM

the country still with modi

मोदी सरकार के 20 महीने पूरे हो चुके हैं। इन 20 महीनों में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के नेतृत्‍व वाली एनडीए बिहार और दिल्‍ली के विधानसभा चुनाव भले ही हार गई हो

नई दिल्ली: मोदी सरकार के 20 महीने पूरे हो चुके हैं। इन 20 महीनों में जहां  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के नेतृत्‍व वाली एनडीए बिहार और दिल्‍ली के विधानसभा चुनाव भले ही हार गई हो लेकिन ये एक चौंकाने वाला तथ्य है कि आज भी देश में मोदी की लहर बरकरार है। मोदी सरकार ने जहां कई कामों में वाहवाही लूटी तो कई मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा भी है लेकिन पीएम मोदी की छवि लोगों के दिलों में अलग ही घर कर गई है।

न्यूज चैनलों द्वारा करवाए गए सर्वे में नरेंद्र मोदी को देश का बेहतरीन प्रधानमंत्री बताया है। इतना ही नहीं अगर आज की तारीख में चुनाव हुए तो एनडीए 301 सीटों पर लोकसभा चुनाव जीतेगी। इस सर्वे पर कई सवाल किए गए हैं जिनमें कई मुद्दों पर जनता बीजेपी के साथ दिखी है तो कई मुद्दों पर पीएम मोदी से निराश भी नजर आई।

सबसे बड़ा लोकप्रिय नेता मोदी
32 फीसदी जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे बेहतरीन बताया है। इस मामले में 23 फीसदी के साथ इंदिरा गांधी दूसरे स्थान पर और 21 फीसदी के साथ अटल बिहारी वाजपेयी तीसरे पायदान पर रहे। 9 फीसदी जनता ने पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को सबसे अच्छा पीएम माना है। बिहार चुनाव में जीत के बाद सुर्खियों में रहे नीतीश कुमार को महज़ 2 फीसदी जनता ने ही देश का सबसे लोकप्रिय नेता करार दिया।

पीएम मोदी के कामकाज से 54 फीसदी जनता संतुष्ट

देश की जनता पीएम मोदी के काम से संतुष्‍ट है। सर्वे में 54 फीसदी जनता का कहना है कि वह पीएम मोदी का कामकाज़ अच्छा या बहुत अच्छा है। वहीं 30 फीसदी ने उनके कामकाज को औसत और 14 फीसदी ने खराब और बहुत खराब करार दिया। वहीं एनडीए सरकार की बात करें तो सिर्फ 46 फीसदी जनता ने सरकार के कामकाज़ को अच्छा कह रही है। वहीं 35 फीसदी ने एनडीए सरकार के कामकाज को औसत और 16 फीसदी ने खराब और बहुत खराब करार दिया।

चुनाव हुए तो पहली पंसद मोदी
सर्वे के मुताबिक, अगर आज लोकसभा चुनाव हुए तो 43 फीसदी जनता नरेंद्र मोदी और एनडीए गठबंधन सरकार के साथ है। वहीं सिर्फ 14 फीसदी लोग कांग्रेस और 4 फीसदी जनता आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने के पक्ष में है। आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा गठबंधन को 336, यूपीए को 60, लेफ्ट को 10 और अन्य को 137 सीटें मिली थीं।

मोदी के आने के बाद नहीं बदली जिंदगी
सर्वे के मुताबिक, जनता को नहीं लगता कि मोदी सरकार के आने के बाद से उनकी जिंदगी बेहतर हुई है इसलिए 53 फीसदी जनता ने सर्वे में माना है कि उनकी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया है। हालांकि, 30 फीसदी लोगों का कहना था कि उनकी ज़िंदगी बेहतर हुई है। वहीं 14 फीसदी लोगों की शिकायत थी कि उनकी ज़िंदगी खराब हुई है।

अखलाख कांड पर मोदी को तोड़नी चाहिए थी चुप्पी?
बीफ की अफवाह पर दादरी के मोहम्मद अखलाक की हत्या पर मोदी की चुप्पी को जनता ने ग़लत माना है। 50 फीसदी जनता का कहना है कि इस मुद्दे पर मोदी को बयान जारी करना चाहिए था जबकि 27 फीसदी ने ऐसी जरूरत से इनकार किया।

असहिष्णुता पर गुस्सा कैसा था?
असहिष्णुता के सवाल पर देश में माहौल जबर्दस्त गर्म था। लोग दो खेमों में बंट गए थे। इस सर्वे में भी लोग दो हिस्सों में बंटे हुए नजर आए। 35 लोगों फीसदी का मानना है कि असहिष्णुता पर गुस्सा स्वत: स्फूर्त था जबकि 38 फीसदी का मानना है कि ये गुस्सा बनावटी था।

राम मंदिर बनवाने की पहल करनी चाहिए?
जब से मोदी सरकार आई है दक्षिणपंथी समूह अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की मांग कर रहे हैं। इस सर्वे में 65 फीसदी लोगों की राय है कि मोदी सरकार को राम मंदिर के निर्माण के लिए कोशिश करनी चाहिए जबकि 23 फीसदी इसके खिलाफ हैं।

अरुण जेटली को इस्तीफा देना चाहिए था?
अरविंद केजरीवाल के जरिए डीडीसीए घोटाले में वित्त मंत्री जेटली के नाम उछाले जाने पर जनता की राय बंटी हुई है। 30 का कहना है कि जेटली को इस्तीफा दे देना चाहिए तो 40 फीसदी का कहना है कि नहीं।

पठानकोट आतंकी हमला- पाक के वादे पर भरोसा न करें मोदी
सर्वे में 60 फीसदी से अधिक लोगों का कहना है कि पीएम मोदी को पठानकोट हमले के बाद पाकिस्‍तान के वादे पर भरोसा नहीं करना चाहिए। वहीं 24 फीसदी लोगों का कहना है कि उन्‍हें पाकिस्‍तान पर भरोसा करना चाहिए। 15 फीसदी लोगों ने इस पर कुछ नहीं कहा।

सम्मान वापसी मुहिम बनावटी
सम्‍मान वापसी के मामले में भी जनता पीएम मोदी के साथ खड़ी दिखाई दी। सर्वे में 38 फीसदी लोगों ने कहा कि सम्‍मान वापसी की मुहिम बनावटी थी। वहीं 35 फीसदी लोगों का कहना है कि यह मुहिम स्‍वाभाविक थी और 27 फीसदी लोगों ने इस मामले में कुछ भी नहीं कहा।

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