पंजाब में ‘आप’ के बिखरने का खतरा फिलहाल टला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Mar, 2018 01:44 AM

the danger of the scarcity of aap in punjab is currently on

आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई में बिखराव का संकट फिलहाल टल गया है क्योंकि पार्टी के 10 विधायकों ने दिल्ली पहुंच कर प्रदेश पार्टी प्रभारी व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लिया। वहीं 5 विधायकों ने संदेश भेज दिया...

नई दिल्ली/चंडीगढ़(सूरज/शर्मा): आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई में बिखराव का संकट फिलहाल टल गया है क्योंकि पार्टी के 10 विधायकों ने दिल्ली पहुंच कर प्रदेश पार्टी प्रभारी व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लिया। 

वहीं 5 विधायकों ने संदेश भेज दिया कि निजी कारणों से वे इस बैठक में भाग नहीं ले पाएंगे। हालांकि 16 मार्च को पार्टी के 13 विधायकों ने सुखपाल सिंह खैहरा व कंवर संधू के इस प्रस्ताव पर सहमति जताई थी कि वे मामले पर हाईकमान की सफाई जानने के लिए दिल्ली से आए किसी निमंत्रण को स्वीकार नहीं करेंगे। 

ये विधायक पहुंचे बैठक में हिस्सा लेने 
पार्टी के 3 विधायक कुलतार सिंह संधवा, अमरजीत सिंह संदोहा तथा प्रो. बलजिंद्र कौर गत दिवस ही दिल्ली रवाना हो गए थे तथा उन्होंने केजरीवाल व सिसौदिया को 16 मार्च के घटनाक्रम की जानकारी भी दी थी। इसके बाद ही पार्टी विधायकों को रविवार को बैठक में भाग लेने के संदेश भेजे गए। उक्त 3 विधायकों के अलावा रूपिंद्र कौर रूबी, जयकिशन सिंह रूढ़ी, हरपाल चीमा, प्रिं. बुध राम, सर्वजीत कौर माणूके, अमन अरोड़ा तथा मंजीत सिंह इस बैठक में शामिल हुए। 

अलग गुट बनाने का रखा गया था प्रस्ताव 
उल्लेखनीय है कि गत 16 मार्च को सुखपाल सिंह खैहरा ने संकेत दिया था कि राज्य में एक जैसी सोच वाले लोगों को एक मंच पर आकर थर्ड फ्रंट के गठन पर सोचना होगा लेकिन दिल्ली में आयोजित रविवार की बैठक में 10 विधायकों के शामिल होने से यह साबित हो गया है कि राज्य में न तो अभी विघटन का कोई खतरा है और न ही थर्ड फ्रंट के अस्तित्व में आने की कोई गुंजाइश। 

खैहरा व संधू हाईकमान के राडार पर 
प्रदेश पार्टी इकाई में मंडराए संकट के बादल को दूर करने में पार्टी हाईकमान फिलहाल बेशक सफल रही है परंतु विधायकों के साथ मान-मनौव्वल का क्रम अभी जारी रहेगा। वहीं सुखपाल खैहरा व कंवर संधू द्वारा पार्टी हाईकमान के बारे में दिए बयानों से यह साफ हो गया है कि उक्त दोनों नेता अब पार्टी हाईकमान के राडार पर आ गए हैं। हालांकि पार्टी की प्राथमिकता पार्टी विधायकों को एकजुट रखने की है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पंजाब विधानसभा के बजट सत्र पश्चात पार्टी की प्रदेश इकाई में कुछ नए घटनाक्रम देखने को मिलें। 

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