रिश्तों के संतुलन का खेल जारी,  अब भारत दौरे पर आएंगे ईरान के राष्ट्रपति

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 07:55 PM

the game of balance balance will continue india will now visit iran

खाड़ी के तीन मुल्कों का दौरा सम्पन्न करने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक और इस्लामी देश ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी को इस सप्ताह भारत के तीन दिनों के दौरे पर आमंत्रित किया है। राष्ट्रपति रुहानी ऐसे वक्त भारत का दौरा कर रहे हैं जब...

ऩई दिल्ली ( रंजीत कुमार ): खाड़ी के तीन मुल्कों का दौरा सम्पन्न करने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक और इस्लामी देश ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी को इस सप्ताह भारत के तीन दिनों के दौरे पर आमंत्रित किया है। राष्ट्रपति रुहानी ऐसे वक्त भारत का दौरा कर रहे हैं जब अमरीका ने ईरान पर कूटनीतिक और आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है और इजराइली प्रधानंत्री का भारत दौरा ताजा है।

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने ही ईरान के दुश्मन माने जाने वाले इजराइल के प्रधानमंत्री  बेंजामिन नेतान्याहू की भारत में जबर्दस्त आवभगत हुई थी और इसके बाद खाड़ी के देशों का दौरा कर प्रधानमंत्री मोदी ने उन मुल्कों को यह संदेश दिया था कि खाड़ी के देशों के साथ रिश्तों को भी उतनी ही अहमियत देते हैं।

अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में रिश्तों के संतुलन के इस खेल को जारी रखते हुए ईरान के राष्ट्रपति को भारत आमंत्रित किए जाने पर अमरीका और अरब मुल्कों की विशेष नजर रहेगी। घरेलू राजनीति और अंतरराष्ट्रीय सामरिक समीकरणों के नजरिए से ईरान के राष्ट्रपति का भारत दौरा काफी अहम होगा।

उल्लेखनीय है कि इजराइल के दूसरे प्रतिद्वंद्वी देश सऊदी अरब के साथ भी भारत अपने रिश्ते प्रगाढ़ बनाने की कोशिश कर रहा है औऱ इस इरादे से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले सप्ताह ही सऊदी अऱब का दौरा किया है। ईरान और सऊदी अरब के बीच भी रिश्तों में काफी तनाव है। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने मई, 2016 में ईरान का दौरा कर आपसी रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने का संकल्प जाहिर किया था। हालांकि भारत का अहम सामरिक  साझेदार अमरीका नहीं चाहता कि ईरान से भारत अपनी दोस्ती बढ़ाए।

मध्य एशिया और यूरोप तक भारत का व्यापारिक मार्ग बनाने के लिए कनेक्टीविटी योजनाओं को लागू करने के नजरिए से ईरान के साथ भारत के रिश्ते काफी अहम हैं। चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट के विकल्प के तौर पर भारत की इन कनेक्टिवीटी परियोजनाओं को देखा जा रहा है।

राजनयिक सूत्रों ने बताया कि ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी को 15 से 17 फरवरी तक  भारत दौरे का प्रधानमंत्री मोदी का निमंत्रण विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले साल दिसम्बर में तेहरान दौरे में सौंपा था। राजनीतिक दृष्टिकोण के अलावा आर्थिक नजरिए से ईऱान के साथ भारत के रिश्तों की महत्ता है।

ईरान के जरिए ही भारत मध्य एशिया के देशों के बाजार तक अपनी पहुंच बना सकता है जिसके लिए ईऱान ने अपने चाबाहार बंदरगाह के इस्तेमाल की सुविधा भारत को दी है। भारत इस बंदरगाह का विकास कर न केवल अफगानिस्तान के रास्ते मध्य एशिया तक बल्कि बंदरअब्बास पोर्ट के रास्ते रूस औऱ यूरोप तक अपना व्यापारिक मार्ग खोल सकता है जिससे इन समृद्ध देशों के बाजार तक भारतीय व्यापारिक माल पहुंचाए जा सकते हैं।

ईरान भारत का खनिज तेल का एक बड़ा सप्लायर है लेकिन हाल में भारत ने ईरान से तेल एवं गैस आयात में कटौती की है। ईऱान के फरजद तेल मैदान का दोहन का ठेका भारत को न मिलने से भारत और ईरान के रिश्तों में खिंचाव आया था लेकिन इसे नजरअंदाज करते हुए ईऱानी राष्ट्रपति ने भारत का दौरा करने का फैसला कर भारत से अपने रिश्तों को अहमियत दी है।

पिछली बार 2008 में ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति अहमदीनेजाद ने भारत का विवादस्पद दौरा किया था। इसके बाद ईरान पर अमरीकी अगुवाई वाले अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह भारत को भी ईऱान के साथ अपने सम्पर्क सीमित करने पड़े।

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