Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Aug, 2017 10:15 AM
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी को केंद्र सरकार अल्पसंख्यक संस्थान नहीं मानती।
नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी को केंद्र सरकार अल्पसंख्यक संस्थान नहीं मानती। दरअसल, यह यूनिवर्सिटी दिल्ली में स्थित हैं। सरकार का तर्क है कि इस संस्थान को संसद के कानून के जरिए बनाया है। इतना हीं नहीं इसे केंद्र से आर्थिक मदद मिलती है। आर्थिक मदद मिलने के कारण इसे मिला माइनॉरिटी स्टेटस गलत है।
हाइकोर्ट में केंद्र दायर करेगी नया एफिडेविट
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे संबंधित मामले में केंद्र सरकार जल्द ही नया हलफनामा दायर करेगी। इस हलफनामे में लिखा जाएगा कि जामिया को अल्पसंख्यक दर्जा दिया जाना एक गलती थी। गौरतलब है कि 22 फरवरी 2011 में तत्कालीन यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग (एनसीएमईआई) ने अपने आदेश में कहा था कि यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है।
कानूनन गलत है एनसीएमईआई का आदेश
बताया जा रहा है कि अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जनवरी 2016 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री समृति ईरानी के कार्यकाल में ही सलाह दी थी कि मंत्रालय जामिया के माइनॉरिटी स्टेटस पर कोर्ट में अपना पक्ष बदल सकता है। उन्होंने कहा कि NCMEI का आदेश कानून के मुताबिक नहीं है। वहीं दूसरी ओर केंद्र का मानना है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया को केंद्रीय विश्वविद्यालय और अल्पसंख्यक संस्थान दोनों का दर्जा नहीं दिया जा सकता।