याचिकाकर्त्ता ने लगाई गुहार- देश में बहुत भ्रष्टाचार, CJI बोले-तो बन जाइए नेता

Edited By ,Updated: 11 Apr, 2017 01:31 PM

the strange case came in the supreme court

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक ऐसे मामले पर सुनवाई हुई जिसको लेकर वहां लोगों की भी इस केस में दिलचस्पी बढ़ गई और जब तक सुनवाई पूरी नहीं हुई लोग इस बहस को गौर से सुनते रहे।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक ऐसे मामले पर सुनवाई हुई जिसको लेकर वहां लोगों की भी इस केस में दिलचस्पी बढ़ गई और जब तक सुनवाई पूरी नहीं हुई लोग इस बहस को गौर से सुनते रहे। दरअसल सुनील कुंडू नाम का एक याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कैग (सीएजी) को आयकर विभाग सरीखी शक्तियां और अधिकार दिए जाने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी। इस केस में सुनील और चीफ जस्टिस जेएस खेहर के बीच काफी लंबी बहस चली।

ये थी सुनील की याचिका
सुनील ने कहा कि जज साहब मैं एक गरीब आदमी हूं इसलिए अपनी बात खुद कोर्ट के सामने रखना चाहता हूं। उसने कहा कि उसे अंग्रेजी नहीं आती, इसलिए वह अंग्रेजी में अपनी बात रखेगा। चीफ जस्टिस खेहर ने उसे इसकी इजाजत दे दी। याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने आयकर विभाग को दोषियों पर सीधे कार्रवाई का अधिकार दिया है। ऐसी ही शक्तियां कैग को भी दी जानी चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हर किसी की अपनी सीमाएं होती हैं। सरकार और न्यायपालिका की भी अपनी सीमाएं हैं। कौन-सी एजेंसी कैसे काम करेगी, उसके पास क्या अधिकार व शक्तियां होनी चाहिए, यह तय करने का काम कोर्ट का नहीं है।" इसके बाद याचिकाकर्त्ता ने जो कहा उसपर चीफ जस्सटिस ने बड़ा ही स्टीक जवाब दिया। सुनील ने कोर्ट में कहा कि सर, देश में भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है। अगर आप कुछ नहीं करेंगे तो काम कैसे चलेगा? देश कहां जा रहा है? मैं देश की दुर्दशा होते हुए देखता हूं तो मेरा दिल दुखता है।"

चीफ जस्टिस ने दिया दिलचस्प जवाब
सुनील की मांग पर चीफ जस्टिस ने कहा कि यदि आपको देश की इतनी चिंता है तो आप खुद चुनाव क्यों नहीं लड़ते? आप नेता क्यों नहीं बन जाते? आप चुनाव लड़िए, नेता बन जाइए और फिर देश की सेवा कीजिए। जैसा आप चाहते हैं, देश को वैसा बनाइए। इस पर सुनील ने कहा कि साहब, चुनाव लड़ने और नेता बनने के लिए पैसा लगता है। मेरे पास इतना पैसा नहीं है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए पैसा होना जरूरी नहीं है। देश में ऐसे कई उदाहरण हैं। एक पत्थर तोड़ने वाली महिला ने विकास के लिए चुनाव लड़ा था और वह सांसद बन गई। उसके पास तो दो जून की रोटी के लिए पैसा नहीं था। आप चुनाव लड़िए, नेता बनिए। फिर आप वो सब कर सकते हैं, जिसके लिए आप कोर्ट आए हैं।" चीफ जस्टिस की अगुआई वाली 3 जजों की बेंच ने सुनील की पिटीशन खारिज करते हुए हिदायत भी दी। कहा, "आपने पहली बार पिटीशन दायर की है। इसलिए जुर्माना नहीं लगा रहे लेकिन अगर भविष्य में इस तरह का कोई मामला लेकर आए तो आप पर जुर्माना लगाया जाएगा। ऐसी याचिकाओं से अदालत का समय बर्बाद होता है।"

बता दें जिस महिला सासंद का चीफ जस्टिस ने कोर्ट में जिक्र किया वे भागवती देवी (भगवतिया देवी) जोकि 1995 में पत्थर तोड़ती थीं लेकिन बाद में गया की पहली महिला सांसद बनी। हालांकि उनके बारे में इतनी जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन विकास के नाम पर उन्होंने चुनाव लड़ा और जीती भी।

 

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