देश में बिन बुलाई मेहमान हैं 2 करोड़ बेटियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jan, 2018 03:49 PM

there are 200 million unwanted daughters in the country

बेटा होने के चाहत में पैदा होने वाली अनचाही बेटियों की संख्या देश में दो करोड़ से भी ज्यादा तथा कोख में ही मार डालने के कारण गायब बच्चियों की तादाद करीब छह करोड़ है। देश में बेटियों के मुकाबले बेटों की बढ़ती चाहत को दर्शाने वाले ये आंकड़े संसद में...

नई दिल्ली (वार्ता): बेटा होने के चाहत में पैदा होने वाली अनचाही बेटियों की संख्या देश में दो करोड़ से भी ज्यादा तथा कोख में ही मार डालने के कारण गायब बच्चियों की तादाद करीब छह करोड़ है। देश में बेटियों के मुकाबले बेटों की बढ़ती चाहत को दर्शाने वाले ये आंकड़े संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आये हैं। अनचाही लड़कियों पर पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर किये गये इस सर्वेक्षण के अनुसार देश की कुल आबादी में 0 से 25 आयु वर्ग की अनचाही लड़कियों की संख्या दो करोड 10 लाख है। 
PunjabKesari
बेटे की चाहत में पैदा हो जाती हैं बेटियां 
अंतिम बच्चे के यौन अनुपात का विश्लेषण करने के बाद यह पता लगा है कि माता-पिता की चाहत तो बेटे की थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बेटे के इंतजार में वे इन बच्चियों को जन्म देते रहे।  जन्म लेेने से पहले ही कोख में मार डालने तथा जानबूझकर उपेक्षा की शिकार होने के कारण गायब बच्चियों की संख्या 1990 में चार करोड़ थी जो 2014 में बढ़कर छह करोड़ तीस लाख हो गयी और हर वर्ष ऐसी 20 लाख बच्चियां गायब हो रही हैं।
PunjabKesari
पंजाब और हरियाणा में लड़कों की चाहत ज्यादा
लड़कियों के प्रोत्साहन के लिए शुरू की गयी तमाम योजनाओं के बावजूद हर सौ जन्म पर लड़कियों के प्रतिशत में मामूली सुधार हुआ है। लड़कों के मुकाबले इन लड़कियों का प्रतिशत 2005-06 के 39.5 के मुकाबले 2015-16 में 39 पर आया है। देश के सबसे समृद्ध राज्य पंजाब और हरियाणा में लड़कियों के मुकाबले लड़कों की चाहत सबसे ज्यादा है जबकि केरल और मेघालय में लड़कियों की स्थिति सबसे अच्छी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समाज को बेटों की अत्यधिक चाहत की मानसिकता पर सामूहिक रूप से आत्मचिंतन करने की जरूरत है।  
PunjabKesari
कामकाजी महिलाओं की संख्या में आई कमी
महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के दावों के बीच कामकाजी महिलाओं की संख्या में भी काफी कमी दर्ज होना चौकाने वाली बात है। वर्ष 2004-05 में रोजगार में लगी महिलाओं का प्रतिशत 36 था जो 2015-16 में कम होकर 24 प्रतिशत रह गया। पति के मुकाबले ज्यादा कमाने वाली महिलाओं का प्रतिशत दोगुना होकर 21 से 42 पर पहुंच गया। गर्भनिरोधक पर फैसला लेने में महिलाओं की भागीदारी 93 प्रतिशत से कम होकर 91 प्रतिशत पर आ गयी।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!