पाकिस्तान से मोहभंग हो रहा है अमरीका का

Edited By ,Updated: 28 Apr, 2016 08:24 PM

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अमरीका से आतंकवाद की समाप्ति के नाम पर मोटी धनराशि ले रहे पाकिस्तान की जवाबदेही बढ़ गई है। उसे अहसास हो गया है कि

अमरीका से आतंकवाद की समाप्ति के नाम पर मोटी धनराशि ले रहे पाकिस्तान की जवाबदेही बढ़ गई है। उसे अहसास हो गया है कि अंधाधुंध पैसा देने वाला अमरीका उससे परिणाम चाहता है। अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा, विदेश मंत्रालय, सीनेटर, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की भी उस पर निगाह है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय पाकिस्तान से कह चुका है कि वह सभी आतंकी संगठनों को अपने निशाने पर ले। कुछ दिन पहले पाकिस्तान सरकार ने कहा था कि वह किसी आतंकी समूह को लेकर कोई पक्षपात नहीं करेगी। इसलिए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने जोर डाला है कि उसे कार्रवाई में देर नहीं लगानी चाहिए।

हिलेरी क्लिंटन जब अमरीका की विदेश मंत्री थीं तब उन्होंने भारत-पाक वार्ता पर भारत के नजरिए की तारीफ की थी। उन्होंने अमरीका का इरादा स्पष्ट किया था कि वह आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ है। आतंकवाद से भारत और अमरीका दोनों को ही खतरा बना हुआ है। इससे निबटने के लिए दोनों देश मिलकर रणनीति बनाने पर सहमति जता चुके हैं। हिलेरी ने भी पाकिस्तान पर आतंकवादियों के पनाहगाह के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव डाला था। वे कहती थीं कि बेलगाम हो रहे आतंकवादियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अमरीका पाकिस्तान की समस्याएं नहीं सुलझा सकता। इन्हें सुलझाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। हिलेरी क्लिंटन अब स्वयं अमरीकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं। उनके भारत के प्रति नजरिए में बदलाव नहीं आया है।

अमरीकी राष्ट्रपति पर के प्रबल उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के ताजा बयान से लगता है कि वे भी पाकिस्तान पर आंख मूद कर विश्वास नहीं करते हैं। उनका मानना है कि पाकिस्तान की समस्या से निपटने के लिए भारत और अन्य देशों की मदद मांगनी पड़ेगी। ट्रंप ने इंकार नहीं किया कि पाकिस्तान और कुछ अन्य देश अमरीका के साथ ‘दोहरा खेल’ खेलते हैं। इन देशों के पास परमाणु हथियार हैं, जो कि वास्तविक समस्या है। अमरीका उन्हें धन दे कर उनकी मदद करता है, लेकिन अगर ऐसा नहीं करें तो उन्हें लगता है कि ये देश गलत रास्ते पर चले जाएंगे और बड़ी मुसीबत बन सकते हैं। ट्रंप भी आलोचना कर चुके हैं कि ओबामा सरकार ने अत्यधिक विश्वास करके पाकिस्तान पर अरबों डॉलर पानी की तरह बहाए हैं। उन्हें पूरा विश्वास है भारत उनकी मदद करेगा। उनके दिलोदिमाग की भारत की अच्छी छवि होने के संकेत मिलते हैं।

अमरीकी सांसदों ने पाकिस्तान को एक बार फिर एफ-16 फाइटर जेट्स बेचे जाने का विरोध जता दिया है। सवाल किया गया है कि कहीं वह भारत की बराबरी करने के लिए तो इन्हें नहीं खरीद रहा? उन्होंने आशंका जता दी है कि पाकिस्तान इन विमानों का इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ करेगा। वे चाहते हैं कि सरकार इस सौदे पर पुनर्विचार करे। अमरीका के कई सांसदोंं को इस सौदे पर आपत्ति है।

सीनेट ने इस सौदे को इसीलिए लटका दिया है कि वैसे भी पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं कर रहा। अमरीका नं स्वयं पर 9/11 के आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान को 25 बिलियन डॉलर से ज्यादा की मदद दी है। उसने समीक्षा की है कि पाकिस्तान न आतंकी और न ही आतंकवाद पर काबू नहीं पा सका है। यह तथ्य सामने आया है​ कि वह इसे अपने हित में इस्तेमाल करता है। सांसदों ने साफ कहा है कि  आतंकी पाकिस्तानी सेना की मदद से भारत में हमले करते हैं। 

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक आेबामा भी साफ कर चुके हैं कि पाकिस्तान में छिपे अल कायदा आतंकवादियों की धरपकड़ के लिए वहां सैनिक भेजने की उनकी कोई योजना नहीं है। अल कायदा को उखाड़ फेंकने और उसके सुरक्षित पनाहगाहों को नष्ट करने के लिए उसे हर तरह की सहायता दी गई है और दी जाएगी। लेकिन अमरीका उससे भी कुछ जवाबदेही की उम्मीद करता है। अल कायदा को ऐसा सबक सिखाया जाए कि वह अमेरिकी नागरिकों, अमेरिकी जमीन या अमेरिकी हितों को निशाना बनाने के काबिल न रहे। मौलूदा परिस्थितियों से लगता है कि पाकिस्तान की जवाबदेही बढ़ गई है। उसे आतंकियों के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई करके दिखानी होगी।

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