Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Aug, 2017 02:30 PM
भारत के अगले उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव वैंकैया नायडू और गोपालकृष्ण गांधी के बीच में लड़ा जा रहा है
नई दिल्ली: भारत के अगले उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव में वैंकैया नायडू और गोपालकृष्ण गांधी के बीच में लड़ा जा रहा है। इसके लिए आज वोटिंग भी हो रही है। शाम तक नतीजे भी आ जाएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों में क्या अंतर होता है। अगर नहीं तो हम आपको बताएंगे। दोनों की मतदान प्रक्रिया किस तरह होती है।
उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया भी राष्ट्रपति चुनाव जैसी ही है। उपराष्ट्रपति का चुनाव भी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है, जिसमें दोनों सदनों के सदस्य हिस्सा लेते हैं। हालांकि, दोनों चुनावों में सिर्फ यही अंतर होता है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में विधायक इलेक्टोरल कॉलेज का हिस्सा नहीं होते हैं यानी वह उपराष्ट्रपति के चुनाव में वोट नहीं करते हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार इस साल के चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा से 233 चुने गए और 12 नॉमिनेटेड सदस्य हैं। इसके अलावा लोकसभा से 543 चुने गए और 2 नॉमिनेटेड सदस्य हैं। इस तरह इलेक्टोरल कॉलेज में कुल सदस्यों की संख्या 790 है।
उपराष्ट्रपति के चुनाव में हर वोट की वैल्यू 1 होती है। चुनाव के लिए प्रत्याशी के नाम वाला बैलेट पेपर इस्तेमाल किया जाता है। बैलेट पेपर पर किसी भी पार्टी का कोई निशान या चिन्ह नहीं होता है।
इसमें दो कॉलम होते हैं। एक पर उम्मीदवार का नाम होता है और दूसरा वरीयता के क्रम को चिन्हित करने के लिए होता है। जीतने वाले उम्मीदवार को वोटों का जरूरी कोटा पूरा करना होता है, जो कि कुल वैध वोटों का 50 फीसदी होता है।