Edited By ,Updated: 09 Nov, 2016 11:53 AM
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रहने वाले वकील अवधेश सिंह ने दावा किया कि मनमोहन सिंह की सरकार में 500 और 1000 के नोट को बंद करने का
वाराणसीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रहने वाले वकील अवधेश सिंह ने दावा किया कि मनमोहन सिंह की सरकार में 500 और 1000 के नोट को बंद करने का मुद्दा सबसे पहले उन्होंने उठाया था, जिसको लेकर उन्होंने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के माध्यम से वर्तमान की केंद्र सरकार को तीन पन्ने की चिठ्ठी भी भेजी थी। उनके मुताबिक, भ्रष्टाचार, काला धन, आतंकवाद, रिश्वतखोरी और हवाला के कारोबार को रोकने में 500 और 1000 के नोट बंद करके बड़ा प्रयास किया जा सकता था।
ठंडे बस्ते में चली गई थी रिपोर्ट
अवधेश साल 2009 में जिला शासकीय अधिवक्ता के पद पर थे। उस साल की दीवाली पर हजारों करोड़ की खरीदारी बाजार से हुई थी। इससे प्रेरित होकर उन्होंने उस समय सेन्ट्रल बार एशोसियेशन को एक पत्र लिखा था। उस पत्र को बाकायदा प्रस्ताव बनाकर एशोसियेशन ने पारित किया। हालांकि ये रिपोर्ट ठंंडे बस्ते में चली गई थी। इसके बाद यूपी बार काउंसिल ने अपनी मुहर लगाकर तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को भेजा था। दरअसल उस प्रस्ताव में वही सब लिखा था, जिसके लिए अब पीएम मोदी ने 500 और 1000 के नोट पर पाबंदी लगाई है।
UNO में 127 वें नंबर पर था INDIA
अधिवक्ता अवधेश ने इस प्रस्ताव को उस वक्त के UNO द्वारा एक रिपोर्ट के प्रकाशित के आधार पर लिखा था, जिसमें रिपोर्ट में मानवीय आकलन किया गया था। उस रिपोर्ट में भारत 127 वे नंबर पर था। UNO की रिपोर्ट के आधार पर भारत की आधी से अधिक आबादी 20 रुपए से अधिक खर्च नहीं कर पाती। इसी को आधार मानते हुए इस रिपोर्ट ने 500 और 1000 हजार के रुपए को बंद करने का सुझाव भेजा गया था।
फैसले से पूर्व शासकीय अधिवक्ता खुश
इस रिपोर्ट को कालाबाजारी, रिश्वत खोरी और कालेधन और भ्रस्टाचार पर रोक लगाने के लिए लिखा था। उनका मानना था कि जब देश में आधे से अधिक आबादी 20 रुपए से अधिक खत्म नहीं कर पाती और करीब 10 प्रतिशत लोगों में ही सारे धन रुके हुए हैं, तो ऐसे में ये बड़े नोट बंद कर देने चाहिए। उन्होंने बताया कि मोदी के इस फैसले से पूर्व शासकीय अधिवक्ता काफी खुश हैं। उनका कहना है कि मोदी के पास मेरी रिपोर्ट शायद नहीं पहुची होगी, लेकिन उनका ये फैसला एक बड़ा कदम है, जाे भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाएगा।