विधानसभा चुनावों का ये है सेमीफाइनल ईयर, 2019 के फाइनल की राह करेगा तय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jan, 2018 08:43 PM

this year assembly elections will decide the path of lok sabha elections

जिन आठ राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें चार उत्तर पूर्व राज्य हैं। मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में मार्च में विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके पहले यहां चुनाव संभव है। वहीं, कर्नाटक में 28 मई को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में...

नेशनल डेस्क (नीरज शर्मा) : देश की राजनीति के लिए साल 2018 बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। इस साल विधानसभा चुनावों का सिलसिला साल के शुरुआती महीने जनवरी से शुरू होकर दिसंबर के आखिर जारी रहेगा। इस बार देश के अलग-अलग 8 राज्यों में विधानसभा का चुनाव होंगे। इन विधानसभा चुनावों के परिणामों का सीधा असर साल 2019 के आम चुनावों पर पढ़ेगा, क्योंकि इन चुनावों के नतीजों से ही देश के लोगों का मूड़ पता लग सकेगा। एेसे कुल मिलाकर 2018 का विधानसभा चुनाव 2019 के फाइनल के पहले सेमीफाइनल के तौर पर ही देखा जा रहा है।

सालभर में कुछ राज्यों में होंगे विधानसभा चुनाव
जिन आठ राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें चार उत्तर पूर्व राज्य हैं। मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में मार्च में विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके पहले यहां चुनाव संभव है। वहीं, कर्नाटक में 28 मई को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में कर्नाटक में अप्रैल-मई में चुनाव कराए जा सकते हैं। दूसरी तरफ, मिजोरम, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी इस साल के आखिर में विधानसभा का चुनाव होना है। 

भाजपा का मनोबल बढ़ा, कांग्रेस को मिली अॉक्सीजन
2017 के आखिर में भाजपा के लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश से बेहतर परिणाम आए। एेसे में भाजपा को 2018 की चुनौती का सामना करने के लिए 2017 के परिणामों ने पार्टी का मनोबल और मजूबत कर दिया है लेकिन भाजपा इसका कितना बेहतर इस्तेमाल कर पती है। इसका इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पता लगेगा। दूसरी तरफ, राहुल गांधी के कांग्रेस की कमान संभालने के बाद उनके लिए आठ राज्यों के चुनाव कड़ा इम्तिहान होंगे। गुजरात में पार्टी के पहले की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद पार्टी को अॉक्सीजन मिल गई है। 

मेघालय
यहां मुकुल संगमा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है लेकिन इस बार भाजपा कांग्रेस को पटखनी देने की पूरी तैयारी में लगी हुई है। शुक्रवार को ही कांग्रेस को उस समय तगड़ा झटका लगा जब पूर्व उपमुख्यमंत्री रोवेल लिंगदोह समेत कांग्रेस के पांच विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। उनक तीन और विधायको ने इस्तीफा दिया था। इसी बीच कांग्रेस नेता अलेक्जेंडर हेक ने अपने साथ चार विधायकों के  मंगलवार को विधानसभा से इस्तीफा देने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने की बात कही। उनके साथ तीन और विधायको के इस्तीफे की चर्चा है। ऐसे में कांग्रेस के भीतर मचे कोहराम में बीजेपी अपने लिए जगह तलाशने में जुट गई है।

त्रिपुरा
यहां पिछले 25 सालों से सीपीएम की सरकार है। मुख्यमंत्री माणिक सरकार के नेतृत्व में सीपीएम यहां लगातार सत्ता में है लेकिन इस बार भाजपा वामपंथ के गढ़ में उलटफेर की कोशिश कर रही है। इसके लिए भाजपा ने अपनी असम सरकार के कद्दावर मंत्री हेमंत बिस्वसरमा को जिम्मेदारी सौंपी है। विस्वसरमा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (नेडा) के चेयरमैन भी हैं। इतना ही नहीं संघ की तरफ से भी यहां चहलकदमी लगातार बढ़ गई हैं। खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर दसरे पदाधिकारियों का लगातार दौरे करते रहे हैं। एेसे में भाजपा की मंशा पूरे नार्थ ईस्ट में भगवा फहराने की है।

नागालैंड
इस राज्य नागाल पीपुल्स फ्रंट की सरकार है। टीआर जेलियांग के नेतृत्व में बनी इस सरकार को भाजपा का भी समर्थन है या यू कहें कि नागालैंड में एनडीए का ही मुख्यमंत्री है। 2013 में एनसीपी के चार विधायकों में से तीन विधायकों ने बीजेपी में शामिल होने का फैसला कर लिया था और भाजपा उन्हें समर्थन दे रही है। नागालैंड में नागालैंड लोकतांत्रिक गठबंधन नाम से इस वक्त बीजेपी का गठबंधन है।  इस बार भी बीजेपी की कोशिश है कि नॉर्थ-ईस्ट के इस राज्य में अपना वर्चास्व कायम रखा जाए।

कर्नाटक
यहां वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है। राज्य में अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं लेकिन बीजेपी ने अभी से चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। पिछले साल नवंबर से ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कर्नाटक में 75 दिनों तक चलने वाली 'नव कर्नाटक निर्माण परिवर्तन रैली' शुरु  कर दी है। इसका नेतृत्व प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बी एस येदुरप्पा कर रहे हैं जिन्हें अगले चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया गया है। इससे पहले येदुरप्पा के नेतृत्व में ही भाजपा ने पहली दफा दक्षिण भारत के किसी राज्य में अपनी सरकार बनाई थी।

मध्यप्रदेश
इस राज्य में 2003 से ही लगातार भाजपा की सरकार है जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले 12 सालों से लगातार मुख्यमंत्री हैं। मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान की लो प्रोफाइल छवि और उनके कामों को लेकर पार्टी से लेकर जनता के बीच उनकी पैठ बरकरार है लेकिन 15 साल की एंटीइंबेंसी फैक्टर को लेकर कांग्रेस की भी उम्मीद बढ़ गई है लेकिन पार्टी के सामने सबसे बड़ा संकट गुटबाजी है। यहां मुख्यमंत्री के रूप में दिग्विजय सिंह, ज्योरादित्य सिंधिया और कमलनाथ बड़े नाम हैं। यहां नवंबर-दिसंबर में चुनाव प्रस्तावित हैं।

छत्तीसगढ़
इस राज्य में भी 2003 से ही भाजपा की सरकार है। यहां लगातार तीन बार से रमन सिंह ही मुख्यमंत्री हैं। आदिवासी बहुल इस राज्य में भाजपा इस बार भी सरकार बनाने की पूरी कोशिश करेगी लेकिन कांग्रेस यहां भी सत्ता विरोधी रूझान का फायदा उठाने की फिराक में है। हालांकि छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के लिए रमन सिंह के खिलाफ किसी दमदार चेहरे की कमी खल रही है। यहां भी नवंबर-दिसंबर में ही चुनाव होने है।

राजस्थान
इस राज्य में भी विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ ही साल के आखिर में होने हैं लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की तरफ से इस बार भाजपा को तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। 2013 में कांग्रेस तगड़ा झटका देकर भाजपा सत्ता में आई थी। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में पिछली बार पार्टी ने राज्य की 200 में से 163 सीटों पर जीत हासिल की थी। राज्य में वसुंधरा सरकार के एंटीइंबेंसी फैक्टर काफी हावी है। 

मिजोरम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिजोरम में भी अपनी पिछली यात्रा के दौरान तुईरिल हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था। वहां भी उन्होंने कांग्रेस को विकास कार्य में रोड़ा अटकाने को लेकर खूब खरी-खोटी सुनाई। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी पिछले सितंबर-अक्टूबर में मिजोरम का दौरा किया था। शाह की कोशिश पार्टी को मजबूत कर मिजोरम में सत्तारूढ कांग्रेस की सरकार को बदलने की है।

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