Budget 2017-18: किन्नर भी लगाए बैठे हैं सरकार से ये उम्मीदें

Edited By ,Updated: 31 Jan, 2017 04:29 PM

transgender also hold out hope that the government

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में उच्चतम न्यायालय की पहल पर किन्नरों को तीसरे लिंग (थर्ड जेंडर) का संवैधानिक दर्जा तो मिला लेकिन आज भी यह समाज मूलभूत सुविधाओं के लिए सरकार के बजट में अपनी हिस्सेदारी मिलने की आस लगाए बैठा हैं।

पटना: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में उच्चतम न्यायालय की पहल पर किन्नरों को तीसरे लिंग (थर्ड जेंडर) का संवैधानिक दर्जा तो मिला लेकिन आज भी यह समाज मूलभूत सुविधाओं के लिए सरकार के बजट में अपनी हिस्सेदारी मिलने की आस लगाए बैठा हैं। समावेशी विकास के वादे के साथ केंद्र की सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार में वित्तमंत्री अरुण जेटली बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का चौथा बजट (अनुपूरक बजट सहित) पेश करने जा रहे हैं लेकिन हाशिए पर खड़े किन्नर समाज ने 15 अप्रैल 2014 को तीसरे लिंग का संवैधानिक दर्ज मिलने के बावजूद पिछले तीन बजट की तरह इस बार भी उनके लिए अलग से जेंडर बजट, तृतीय लिंगी पहचान पत्र बनने और पुनर्वास के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, रोजगार के अवसरों में भी अन्य वर्गों की तरह समान हिस्सेदारी तथा अलग से आरक्षण की मांग की है।

किन्नरों के अधिकार के लिए सक्रिय गैर सरकारी संगठन दोस्ताना सफर की सचिव एवं मगध विश्वविद्यालय से ‘बिहार में किन्नरों की सामाजिक, आर्थिक एवं सांख्यिकी स्थित’ विषय पर शोध कर रहीं रेशमा प्रसाद ने‘यूनीवार्ता’से बातचीत में कहा कि तीसरे लिंग के संवैधानिक दर्जे को केंद्र सरकार ने भी अधिसूचित कर दिया है लेकिन अन्य वर्गों की तरह उन्हें आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। हमारी एक महत्वपूर्ण मांग यह है कि जिस तरह से सरकार जेंडर बजटिंग के जरिये अन्य वर्गों के सशक्तीकरण का प्रयास कर रही है वैसे ही हमारे लिए भी अलग से जेंडर बजट का प्रावधान किया जाए।

प्रसाद ने किन्नर वर्ग के लोगों के लिए प्रमाण पत्र बनने में हो रही परेशानियों का जिक्र करते हुये कहा कि विकलांगता प्रमाण पत्र की तरह हमारे लिए भी तृतीय लिंगी प्रमाण पत्र बनाने का प्रावधान किया गया था। बिहार सरकार ने एजेंसियां तो बनाई लेकिन केंद्र सरकार के इसके लिए बजट नहीं देने के कारण उनका पहचान पत्र भी नहीं बन पाया। कमोबेश देश के सभी राज्यों में यही स्थिति है। ऐसे में हमारी मांग है कि सरकार हमारे प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पूरी व्यवस्था करे क्योंकि हमसे हमेशा यह पूछा जाता है कि कौन किन्नर असली है और कौन नकली।

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