Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Mar, 2018 05:32 PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपनी टीम में किये गए बदलाव और माइक पोंपियो को अमेरिका का नया विदेश मंत्री बनाये जाने के बाद भारत और अमेरिका के बीच होने वाली टू-प्लस-टू बातचीत टल गई है। पहले यह बातचीत 18-19 अप्रैल को होने की संभावना थी।
नेशनल डेस्कः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपनी टीम में किये गए बदलाव और माइक पोंपियो को अमेरिका का नया विदेश मंत्री बनाये जाने के बाद भारत और अमेरिका के बीच होने वाली टू-प्लस-टू बातचीत टल गई है। पहले यह बातचीत 18-19 अप्रैल को होने की संभावना थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल वॉशिंगटन यात्रा के दौरान उनके और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई सफल बातचीत के बाद टू-प्लस-टू वार्ता की घोषणा हुई थी। दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रालयों के बीच होने वाली इस उच्चस्तरीय बातचीत को लेकर किसी प्रकार की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई थी।
रेक्स टिलरसन को मंत्री पद से हटाया गया
भारत के विदेश और रक्षा सचिव अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ मिलकर बातचीत की तैयारी के लिए इस हफ्ते वॉशिंगटन आए थे। ट्रंप द्वारा रेक्स टिलरसन को विदेश मंत्री के पद से बर्खास्त किए जाने के बाद भारतीय शिष्टमंडल वॉशिंगटन पहुंचा था। शिष्टमंडल ने विदेश मंत्रालय और पेंटागन के साथ पहले से तय कार्यक्रम के अनुरूप अपनी बातचीत पूरी की। इसी दौरान टू-प्लस-टू बातचीत को बाद में करने का फैसला लिया गया है।
बता दें कि टू-प्लस-टू बातचीत से दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को बेहतर बनाने के रूप में देखा जा रहा है। पिछले साल जून के बाद दोनों देशों ने नवंबर और दिसंबर 2017 समेत कई अलग-अलग समय पर इस बातचीत के आयोजन की कोशिशें की गई थी। दरअसल, अधिकारियों ने जनवरी 2018 में भी इस वार्ता की कोशिश की, लेकिन समय के अभाव के कारण उनके लिए चारों नेताओं को एक साथ लाना मुश्किल हो रहा था।
अमेरिकी संसद सत्र 22 मार्च को हो रहा है समाप्त
फरवरी महीने में यह तय हो पाया कि यह चारों नेता 18-19 अप्रैल को मिल सकते हैं, लेकिन अब टिलरसन को पद से हटाये जाने के बाद वार्ता कार्यक्रम में फिर से बदलाव के संकेत मिल रहे हैं क्योंकि पोंपियो की नियुक्ति को अभी अमेरिकी सीनेट से मंजूरी मिलना बाकी है। दरअसल, अमेरिकी संसद का संसद सत्र 22 मार्च को समाप्त हो रहा है और अमेरिकी सांसद अब दो अप्रैल को वापस लौटेंगे। उनकी नियुक्ति की पुष्टि करने वाली सीनेट की विदेश मामलों की समिति ने अभी तक इस पर सुनवाई की तारीख फाइनल नहीं की है।