Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Nov, 2017 02:33 AM
दुनियाभर में 2.1 अरब लोगों यानी प्रत्येक 10 में से 3 लोग स्वच्छ पानी की सुविधा से वंचित हैं वहीं अगर स्वच्छता की बात की जाए तो दुनियाभर में 4.5 अरब लोगों यानी प्रत्येक 10 में से 6 लोग स्वच्छता के अभाव में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.)...
कोलकाता: दुनियाभर में 2.1 अरब लोगों यानी प्रत्येक 10 में से 3 लोग स्वच्छ पानी की सुविधा से वंचित हैं वहीं अगर स्वच्छता की बात की जाए तो दुनियाभर में 4.5 अरब लोगों यानी प्रत्येक 10 में से 6 लोग स्वच्छता के अभाव में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
डब्ल्यू.एच.ओ. के महानिदेशक डा. टेड्रोस अधानोम गेब्रेयसस ने कहा कि अब भी दुनिया की बड़ी आबादी पेयजल व स्वच्छता से महरूम है। उन्होंने कहा कि घरों में सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और स्वास्थ्य की सुविधा को केवल अमीरों या शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। ये मानव स्वास्थ्य की मूलभूत आवश्यकताएं हैं और यह सभी देशों की जिम्मेदारी है कि प्रत्येक मानव तक इन सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित की जाए। रिपोर्ट में कहा गया कि घरों, स्वास्थ्य केंद्रों और स्कूलों में हाथ धोने के लिए साबुन तक उपलब्ध नहीं होते। इसके परिणामस्वरूप प्रत्येक वर्ष 5 वर्ष तक की उम्र के 361000 बच्चों की दस्त के कारण जान चली जाती है।
बच्चों के विकास में रोल मॉडल बन सकता है भारत: यूनीसेफ
यूनीसेफ के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भारत ने पिछले दशक में बच्चों के विकास के मामले में प्रभावी प्रगति की है लेकिन बच्चों का एक वर्ग ऐसा भी है जो असमानता या संसाधनों की कमी के चलते इससे अछूता रह जाता है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) में उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोरसिथ ने इस बात पर जोर दिया कि भारत इससे जुड़े मुद्दों पर वास्तव में ध्यान दे सकता है और बाकी दुनिया के लिए विकास का मॉडल बन सकता है।
कहा कि हम बच्चों के विकास के संबंध में कई मुद्दों पर हुई भारत की प्रगति से प्रभावित हैं। 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले में 67 प्रतिशत की कमी आई है। यूनीसेफ इंडिया की अधिकारी ने कहा कि फोरसिथ ने जिन आंकड़ों का हवाला दिया है वे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एन.एफ.एच.एस.) से लिए गए हैं।