Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Nov, 2017 12:16 PM
दुनिया में उभरती आर्थिक महाशक्तियों में भारत का नाम भी शामिल है और इसी कारण इसकी तुलना चीन से की जाती है। मगर एक अमरीकी प्रोफेसर इस बात से इत्तफाक नहीं रखते। उन्होंने ताने कसते हुए कहा है कि भारत अभी तक छोटी-मोटी चीजें खुद नहीं बना पाता...
वॉशिंगटनः दुनिया में उभरती आर्थिक महाशक्तियों में भारत का नाम भी शामिल है और इसी कारण इसकी तुलना चीन से की जाती है। मगर एक अमरीकी प्रोफेसर इस बात से इत्तफाक नहीं रखते। उन्होंने ताने कसते हुए कहा है कि भारत अभी तक छोटी-मोटी चीजें खुद नहीं बना पाता। चीन से प्रतिस्पर्धा की बात तो दूर, वह अपने भगवानों की मूर्तियां भी नहीं बना सकता। भारत में दुकानों पर बिकने वाली हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां चीन निर्मित होती हैं। बटन सरीखी चीजें भी चीन से भारत में आयात होती हैं, सिर्फ इसलिए कि वे सस्ती होती हैं।
यह दावा अमरीका में न्यू जर्सी स्थित रट्जर्स बिजनेस स्कूल (Rutgers Business School) के प्रोफेसर फारक जे.कॉन्ट्रैक्टर (Farok J. Contractor) ने अपने एक लेख में किया है। यह ‘येल ग्लोबल’ नाम की वैबसाइट पर मेड इन चाइनाः मिलियंस ऑफ हिंदू गॉड्स (Made in China: Millions of Hindu Gods) शीर्षक से छपा है। उन्होंने इसमें विस्तार से बताया है कि कैसे कम कीमतों वाले सामान के मामले में चीन भारत को मात देता है। वह भी ड्यूटी और परिवहन कीमतें चुकाने के बाद। प्रोफेसर ने इसके पीछे 7 प्रमुख कमियां भी बताई हैं।
1. Scale
2. Productivity
3. Corruption
4. Transport
5. Electricity
6. Bureaucracy
7. Subsidies
सबसे पहले वह पैमाने (Scale) की बात करते हैं। कहते हैं कि चीन में अधिकतर चीजों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है, जिससे चीजों की कीमतें कम हो जाती हैं। आगे वह उत्पादकता (Productivity) का जिक्र करते हैं। मैकिंसे (Mckinsey) रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहते हैं कि औसतन चीन और थाईलैंड के मुकाबले भारत में लोग चार-पांच गुणा कम उत्पादन करते हैं। ज्यादा आउटपुट से चीन को इस मामले में लाभ मिलता है। प्रोफेसर आगे अपने लेख में भ्रष्टाचार (Corruption) का मसला भी उठाते हैं। लिखते हैं कि करप्शन परसेप्शंस इंडेक्स 2016 में भारत और चीन 176 देशों की सूची में 79वें पायदान पर हैं। मगर दोनों जगह अलग-अलग तरह से भ्रष्टाचार फैला हुआ है। चीन में यह बड़े स्तर पर है, जो कि रोजमर्रा के जीवन और व्यापार को प्रभावित नहीं करता। भारत में यह छोटे स्तर से शुरू हो जाता है और जगह-जगह फैलता है, जिससे हर दिन मुश्किल होती है।
चीन से मुकाबले की बात में वह परिवहन (Transport) व्यवस्था का जिक्र भी करते हैं और मानते हैं कि चीन इस मामले में भी हमसे आगे है। जबकि बिजली (Electricity) के मसले पर उनका मानना है कि भारत में अपर्याप्त बिजली आपूर्ति और अघोषित कटौती फैक्ट्रियों में उत्पादन पर दुष्प्रभाव डालती है। वह इन बिंदुओं में नौकरशाही (Bureaucracy) को भी शामिल करते हैं। कॉन्ट्रैक्टर कहते हैं कि चीन में व्यापार करना आसान है। यहां कुछ ही नियम-कायदों का पालन करना होता है और कम वक्त में चीजों के लिए मंजूरी मिल जाती है।
अंत में सब्सिडी (Subsidies) को लेकर कॉन्ट्रैक्टर कहते हैं कि दोनों ही देश इसका सहारा लेते हैं। लेकिन चीन इस मामले में बहुत आगे है। चीन में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने वाली 50 अलग-अलग कंपनियां न केवल भारत में बिकती हैं, बल्कि वे फ्रैंकफर्ट और लास वेगास के ट्रेड फेयर्स में नजर आती हैं। वे इसके अलावा क्रिस्चियन-बौध धर्म के भगवानों और महात्माओं की मूर्तियों के अलावा घर सजाने वाले सामान भी बनाते हैं। मार्केटिंग के खर्चे में कई बार यहां कर की कटौती की जाती है। कुछ मौकों पर सब्सिडी भी मिलती है।