Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Nov, 2017 05:57 PM
राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के शहर अब तक के सबसे बड़े प्रदूषण संकट से जूझ रहे हैं। पर्टिक्युलेट मैटर 10 (हवा में मौजूद खतरनाक बारीक कण) में सबसे ज्यादा 56 फीसदी योगदान सड़क की धूल का है। जबकि पीएम 2.5 में इसका हिस्सा 38 फीसदी है। दिल्ली और उसके...
नेशनल डेस्क: राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के शहर अब तक के सबसे बड़े प्रदूषण संकट से जूझ रहे हैं। पर्टिक्युलेट मैटर 10 (हवा में मौजूद खतरनाक बारीक कण) में सबसे ज्यादा 56 फीसदी योगदान सड़क की धूल का है। जबकि पीएम 2.5 में इसका हिस्सा 38 फीसदी है। दिल्ली और उसके आसपास नियमों को ताक पर रखकर किए जा रहे निर्माण कार्य से निकलने वाली धूल भी इसके लिए जिम्मेदार है। अब तो स्थिति और बिगड़ गई है।
गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी गंभीर स्थिती
वहीं वाराणसी शुक्रवार को वायु प्रदूषण के मामले में देश का सबसे प्रदूषित शहर रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह से यूपी में आगरा, लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद और हरियाणा में गुरुग्राम, फरीदाबाद जैसे शहरों में हवा अति गंभीर बनी हुई है। सभी जगह हवा दमघोंटू है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक अगले दो दिन तक दिल्ली में हवा आपात स्थिति में ही रहेगी। सुबह और शाम को घने कोहरे के साथ आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी जारी है।
वाराणसी में बढ़ी रोगियों की संख्या
केयर फार एयर नामक संस्था की ओर से क्लाइमेट एजेंडा की मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया कि वाराणसी में वायु प्रदूषण का सबसे बड़े दो कारण हैं। एक तो कचरों का जलाया जाना और दूसरी यहां की ध्वस्त ट्रैफिक व्यवस्था। जाम के कारण रोजाना पर्यावरण में जरूरत से ज्यादा जहर घुल रहा है। जब तक इन दोनों का सही प्रबंधन नहीं किया जाएगा तब तक शहर में प्रदूषण की स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जा सका। वार्ता में उपस्थित चकित्सक आरएन वाजपेयी के अनुसार विगत एक माह में शहर में श्वांस और त्वचा रोग संबंधी रोगियों की संख्या काफी बढ़ी है। उन्होंने शहर वासियों से अनुरोध किया है कि शहर में जब तक धुंध की चादर पूरी तरह समाप्त न हो जाए जब तक लोग कम से कम घरों से बाहर निकलें। खासतौर से बच्चों और बुजुर्गों को इस माहौल में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। बेहतर होगा बाहर निकलते वक्त मास्क का उपयोग करें।