इस शख्स की फोटो लगी टी-शर्ट्स तो खूब पहनते हैं, लेकिन इनकी महान जीवनी से हैं अनजान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Oct, 2017 08:40 PM

we wear photo t shirts of this person but unaware of great biography

क्यूबा को तानशाह के चंगुल से आजाद करने में अहम भूमिक निभाने वाले ''अर्नेस्तो चे ग्वेरा'' के भारत ही दुनियाभर में खासे प्रशंसक हैं

नई दिल्लीः अर्नेस्तो 'चे ग्वेरा' एक ऐसा नाम है, जिसकी फोटो लगी टी-शर्ट्स और बेग्स का भारत समेत दुनियाभर के युवा खूब इस्तेमाल करते हैं लेकिन ये नहीं जानते कि ये शख्स कौन थे। पेशे से डॉक्टर चे की गिनती लेटिन अमरीका समेत दुनिया के तमाम देशों में महान क्रांतिकारी रूप में होती है। आज इनकी 50वीं पुण्यतिथि है। क्यूबा को तानशाह के चंगुल से आजाद करने में अहम भूमिक निभाने वाले के ग्वेरा के भारत ही दुनियाभर में खासे प्रशंसक हैं, जिनके लिए आज भी चे ग्वेरा प्रेरणास्त्रोत हैं। 
PunjabKesari100 गुरिल्ला लड़ाकों ने तानाशाह को उखाड़ फेंका
अर्नेस्तो "चे ग्वेरा” अर्जेन्टीना के मार्क्सवादी क्रांतिकारी थे इनका जन्म 14 जून सन 1929 को रोजारियो (अर्जेंटीना) में हुआ था। डॉक्टर से क्रांतिकारी बने चे ग्वेरा को क्यूबा के बच्चे-बच्चे भी पूजते हैं। वो अपनी मौत के 50 साल बाद भी क्यूबा के लोगों के बीच जिंदा है। इसका कारण है कि उन्होंने क्यूबा को आजाद कराया था। चे ग्वेरा क्रांति के नायक माने जाने वाले फिदेल कास्त्रो के सबसे भरोसेमंद थे। फिदेल और चे ने मिलकर ही 100 'गुरिल्ला लड़ाकों' की एक फौज बनाई और मिलकर तानाशाह बतिस्ता के शासन को उखाड़ फेंका था।
PunjabKesariइतिहास का यह विद्रोही नेता था सर्वश्रेष्ट कवि
चे मार्क्सवाद को समर्पित बीसवी सदी के शायद सबसे प्रतिबद्ध विचारक-योद्धा थे, क्योंकि चे के बाद क्रांतिकारी समाजवाद की डोर लगभग कट सी गई थी। चे एक कुशल लेखक और विचारक थे। उन्होंने युद्ध के विषय को लेकर अपनी एक पुस्तक “गुरिल्ला वारफेयर” लिखी थी। बोलिविया अभियान की असफलता को लेकर “हवा और ज्वार” शीर्षक से लिखी गई कविता उनकी आदर्शवादी सोच को दर्शाती है। इन कविता में चे ने अपना सब कुछ क्रांति के नाम समर्पित करने को कहा था, इसलिए चे की ये कविता उनकी आखरी वसीयत के समान है। 
PunjabKesariक्यूबा की आजादी के बाद भारत आए चे ग्वेरा 
1959 में क्यूबा को आजाद कराया। इसके बाद फिदेल कास्त्रो आजाद क्यूबा के पहले प्रधानमंत्री बने, जबकि चे ग्वेरा को महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार सौंपा गया। चे इसके 6 महीने बाद ही भारत के दौरे पर आए थे।अमरीका ने क्यूबा पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे, ऐसे में क्यूबा ने तीसरी दुनिया के और विकासशील देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की रणनीति अपनाई थी। इसी क्रम में वे भारत भी पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने आल इंडिया रेडियो को एक इंटरव्यू भी दिया था।
PunjabKesariइंसान को मार सकरते हो उसके विचार को नहीं 
चे मार्क्सवाद से प्रभावित एक ‘गुरिल्ला लड़ाके’ के रूप में प्रसिद्ध थे। बोलिविया में गिरफ्तारी के एक दिन बाद 9 अक्टूबर, 1967 को चे की हत्या कर दी गई थी। चे ग्वेरा को जब मारा गया उनकी उम्र 39 साल थी। बोलिविया को अमरीका का सपोर्ट था और चे को गिरफ्तार करने के बाद बोलिवियाई सरकार ने चे के दोनों हाथ काट दिए और उनके शव को एक अनजान जगह पर दफना दिया था।मरते वक्त चे ने हत्यारे बोलिवियाई सार्जेंट टेरान से कहा था-तुम एक इंसान को मार रहे हो, पर उसके विचार को नहीं मार सकते।  

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