हवा कई गुणा जहरीली, प्रयास कई गुणा कम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 12:21 PM

wind many times poisonous effort multiplied

देश में वायु प्रदूषण का स्तर जानलेवा होने के बावजूद इसकी रोकथाम के लिए व्यापक कदम नहीं उठाए जा रहे जबकि विदेशों में सरकारें ऐसे प्रयास कर रही हैं जिससे मौजूदा वायु प्रदूषण का स्तर न बढ़े और भविष्य में भी इस पर लगाम लगी रहे लेकिन देश में वायु प्रदूषण...

नेशनल डेस्कः देश में वायु प्रदूषण का स्तर जानलेवा होने के बावजूद इसकी रोकथाम के लिए व्यापक कदम नहीं उठाए जा रहे जबकि विदेशों में सरकारें ऐसे प्रयास कर रही हैं जिससे मौजूदा वायु प्रदूषण का स्तर न बढ़े और भविष्य में भी इस पर लगाम लगी रहे लेकिन देश में वायु प्रदूषण का स्तर यूरोप और अन्य पश्चिमी देशों के मुकाबले दस गुणा से भी ज्यादा होने के बावजूद देश में इस तरह के प्रयास नहीं हो रहे। सरकारी स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अलावा इस काम में गैर सरकारी संस्थानों सहित जन भागीदारी की भी जरूरत है लेकिन जागरूकता की कमी के चलते यह मुद्दा सरकार और लोगों की प्राथमिकता में नहीं है। हम आपको आज देश और विदेश के कुछ शहरों के प्रदूषण के स्तर की तुलना और विदेश में वायु प्रदूषण रोकने के लिए हो रहे प्रयासों की जानकारी देंगे।

विदेशों में हवा साफ, फिर भी प्रदूषण से जंग के हो रहे यह प्रयास
अमरीका में बिजली से चलेंगे ट्रक

अमरीका की मशहूर शिपिंग कम्पनी यूनाइटिड पार्सल सर्विस (यू.पी.एस.) कैलिफोर्निया में बिजली से चलने वाली डिलीवरी वैनों के परीक्षण के बाद न्यूयॉर्क शहर में आने वाले मित्सुबिशी कंपनी के डीजल से चलने वाले ट्रकों को भी बिजली से चलाने की तैयारी में है। इसके लिए कंपनी न्यूयॉर्क स्टेट एनर्जी रिसर्च और डिवैल्पमैंट अथॉरिटी (एन.वाई.एस.ई. आर.डी.ए.) से सांझेदारी करेगी जिसके तहत कंपनी करीब 1500 ट्रकों को बिजली से चलने योग्य बनाएगी।

एन.वाई.एस.ई. आर.डी.ए. से मिली 5 लाख डालर की ग्रांट के साथ यू.पी.एस. ऊर्जा रूपांतर कम्पनी यूनीक इलैक्ट्रिक सॉल्यूशन की मदद से बिजली से चलने वाले ट्रकों के लिए नए तरीके खोजेगी। रूपांतरण किट बनाना पहली उपलब्धि थी जिसमें यू.पी.एस. ट्रक की चैसीज को 225 मैगावाट तक के विद्युतीय भार को वहन करने योग्य बनाना शामिल है। दूसरे चरण में कम्पनी इस योजना पर काम करेगी जिसके तहत वह हर दिन 3 वाहन तैयार कर सके। यदि सब-कुछ योजना के अनुरूप हुआ तो कंपनी 2018 की शुरूआत में इस तरह के ट्रकों को बनाना शुरू कर देगी।


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स्कूली बच्चों के लिए बिजली वाली बस
डेमलेर और उसकी थॉमस बिल्ट बस डिवीजन ने अब जोऊली नाम की बस तैयार की है जो करीब 160 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ेगी। इस बस में करीब 81 स्कूली बच्चों का भार उठाने की क्षमता होगी। यही नहीं अगर आप्रेटर चाहता है कि बस की क्षमता बढ़े तो इसके लिए वह दूसरा रिचार्ज पैक भी जोड़ सकता है। इस बस की एक और खास बात यह होगी कि यह उत्सर्जन फ्री होगी। यह बस 120 बोल्ट और सैलफोन, लैपटॉप को चार्ज करने वाले यू.एस.बी. से लैस होगी।

हवा में जहर घोलते 8 तत्व
NO2-नाइट्रोजन ऑक्साइड, यह वाहनों के धुएं में पाई जाती है।

PM10-पी.एम. का मतलब होता है पाॢटकल मैटर। इनमें शामिल है हवा में मौजूद धूल, धुआं, नमी, गंदगी आदि जैसे 10 माइक्रोमीटर तक के पाॢटकल। इनसे हार्ट पेशैंट्स को परेशानी हो सकती है।

PM 2.5 माइक्रोमीटर तक के ये पाॢटकल साइज में बड़े होने की वजह से ज्यादा नुक्सान पहुंचाते हैं। यह अस्थमा के पेशैंट्स और आम लोगों के लिए काफी खतरनाक है।

So2सल्फर डाई ऑक्साइड, गाडिय़ों और कारखानों से निकलने वाले धुएं से निकलकर यह फेफड़ों को काफी नुक्सान पहुंचाता है।

pbलेड, गाडिय़ों से निकलने वाले धुएं के अलावा मैटल इंडस्ट्री से निकला है। यह लोगों की सेहत को नुक्सान पहुंचाने वाला सबसे खतरनाक मैटल है।

O3 ओजोन, दमे के मरीज और बच्चों के लिए बहुत नुक्सानदेह है।

C0 कार्बन मोनो ऑक्साइड, गाडिय़ों से निकलकर फेफड़ों को घातक नुक्सान पहुंचाता है।

NH3 अमोनिया, फेफड़ों और पूरे रेस्परटरी सिस्टम के लिए खतरनाक।
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पंजाब के बड़े डाक्टरों की राय, सब मिलकर करें प्रयास
हवा में प्रदूषण का बोझ एक तरीके से मैडीकल प्रोफैशन से जुड़े लोगों पर भी पड़ रहा है। डाक्टर अपना जो समय प्रदूषित हवा के शिकार मरीजों को दे रहे हैं, वह समय वे दूसरे गंभीर रोगियों की देखभाल और बेहतर इलाज को भी दे सकते हैं। यह चुनौती बड़ी है और इससे निपटना भी बड़े स्तर पर ही होगा। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को प्रोत्साहित करना इससे निपटने का एक तरीका हो सकता है। खेतों में जलाई जाने वाली पराली का प्रदूषण तो 10 दिन में खत्म हो जाएगा लेकिन वाहन सारा साल चलते हैं और इंडस्ट्री भी पूरा साल चलती है। हमें विकास के अपने मॉडल पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। हम प्रदूषण के खिलाफ जंग लड़ने वाले पेड़ों को अंधाधुंध तरीके से काट रहे हैं इसका हल निकाला जाना चाहिए।          
-डा. तेजबीर सिंह, प्रिंसीपल मैडीकल कालेज अमृतसर

प्रदूषण का स्तर इस हद तक बढ़ चुका है कि बचाव के तरीके भी नाकाफी साबित हो रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे हम कम से कम अपने आस-पास की हवा में थोड़ी सफाई रख सकते हैं। सबसे पहले तो अपने घर के इर्द-गिर्द पानी का छिड़काव करें इससे आपके आसपास हवा में मिट्टी के कण नहीं मिलेंगे। इसके अलावा घर में पौधे लगाकर भी आप हवा को साफ  रख सकते हैं। जब तक बहुत ज्यादा जरूरत न हो तो अकेले जाने के लिए कार का इस्तेमाल करने से बचें। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने से आप प्रदूषण फैलाने में भागीदार नहीं बनेंगे।
-डा. कुलबीर कौर, प्रिंसीपल पंजाब इंस्टीच्यूट आफ  मैडीकल साइंसिज

 इस समस्या से सरकार अकेले नहीं लड़ सकती। सरकार को दोष देने का कोई फायदा नहीं है। इसमें जनता को भी भागीदार बनना होगा। सरकार नीति बनाती है लेकिन जब तक जनता ईमानदारी से उस पर अमल न करे तो समस्या बढ़ेगी ही। हम सिर्फ  किसान की बात क्यों करें। इंडस्ट्री में ट्रांसपोर्ट में कहां नियमों का पूरी तरह से पालन हो रहा है। सब प्रदूषण में भागीदार हैं और नतीजा सबके सामने है। आज हवा में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। बुजुर्ग, दिल के रोगी, अस्थमा के मरीज और बच्चों के अलावा गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खतरा है। इन सबको अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए और जब तक बहुत ज्यादा जरूरत न हो तब तक बाहर जाने से बचें।
-डा. एल्बर्ट थॉमस, डायरैक्टर, क्रिश्चन मैडीकल कालेज, लुधियाना

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