Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Feb, 2018 11:04 PM
देश में अलग-अलग राज्यों की सरकारें महिला सुरक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे करती हैं। लेकिन महिला पुलिस की हिस्सेदारी देश में महज 7.28 फीसदी है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक देश में महिला पुलिस बल बहुत दयनीय स्थिति में है। ऐसे महिलाओं की...
नेशनल डेस्क: देश में अलग-अलग राज्यों की सरकारें महिला सुरक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे करती हैं। लेकिन महिला पुलिस की हिस्सेदारी देश में महज 7.28 फीसदी है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक देश में महिला पुलिस बल बहुत दयनीय स्थिति में है। ऐसे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठते हैं। क्या देश में महिला पुलिस बल की कम हिस्सेदारी से महिला सुरक्षित हैं।
आंकड़े के अनुसार नक्सल प्रभावित राज्य तेलंगाना में करीब 2.47 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं आतंकवाद प्रभावित जम्मू कश्मीर में 3.05 फीसदी महिला पुलिस बल की हिस्सेदारी है। जम्मू कश्मीर में महिला पुलिस बल के पदों की संख्या ८० हजार से ज्यादा हैं।
अपराध में हुआ इजाफा
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को लेकर गृह मंत्रालय ने ये आंकड़ा जारी किया है। साल 2015 में महिलाओं के खिलाफ 3,29,243 अपराध दर्ज किए गए। वर्ष 2016 में महिलाओं पर हुए अपराध में और इजाफा हुआ। 2016 में महिला अपराधों की संख्या बढ़कर 3,38,954 गई। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि सभी राज्य सरकारों और संघशासित प्रदेशों को साल दर साल महिला पुलिस कर्मियों की संख्या 33 फीसदी करने के लिए पत्र लिखा गया। बाबजूद इसके अभी भी हालात जस के तस हैं।
पुलिस को धैर्य रखने की जरूरत
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के जयंती समारोह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं की पुलिस बेरहम नहीं हो सकती है। बल्कि उसे सभ्य बनाने की जरूरत है। सिंह ने पुलिसकर्मियों से कहा कि दंगे और प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस को धैर्य रखने की जरूरत है। उन्होंने केंद्र और राज्य दोनों पुलिस बलों से अनुरोध किया कि हंगामा करने वाली भीड़ को नियंत्रित करने और उनका ध्यान भटकाने के लिए नई तकनीक और मनोवैज्ञानिक संसाधनों का इस्तेमाल करें।