#womensday: Handicapped पर होने पर नहीं देता था कोई तव्वजो,ऐसे साबित की काबलियत

Edited By ,Updated: 08 Mar, 2017 04:32 PM

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इंसान में हौसला और खुद पर विश्वास हो तो कोई भी बड़ी मुश्किल उसको मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती। कुछ ऐसा ही साबित किया रजनी ने

बैतूल: इंसान में हौसला और खुद पर विश्वास हो तो कोई भी बड़ी मुश्किल उसको मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती। कुछ ऐसा ही साबित किया रजनी ने, जिसने न सिर्फ लोगों की बोलती बंद की बल्कि उस मुकाम तक पहुंची कि पूरा मध्य प्रदेश इस बेटी पर गर्व कर रहा है। मध्यप्रदेश के बैतूल के एक छोटे से गांव सोहागपुर के एक किसान की दिव्यांग बिटिया ने डिप्टी कलेक्टर बनकर साबित कर दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं। जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव के किसान देवीप्रसाद वर्मा ने जिन्होंने अपनी दिव्यांग बिटिया का सपना पूरा करने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। वहीं बिटिया रजनी ने भी डिप्टी कलेक्टर बनकर साबित कर दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं। किसान की दो बेटियां और एक बेटा हैं। छोटी बेटी रजनी को बचपन से ही पोलियो के कारण लाठी का सहारा लेकर चलना फिरना पड़ता था।

लोग करते थे कमेंट
दिव्यांग होने के चलते लोग रजनी को कमतर आंकते थे और उसके भविष्य को लेकर तरह-तरह की बातें करते थे। ये ज्यादातर नकारात्मक बातें ही होती थीं। इन सबके बीच देवीप्रसाद ही ऐसे थे जिन्होंने बिटिया को कभी मायूस नहीं होने दिया। खुद ग्रेजुएट थे इसलिए पढ़ाई का महत्व जानते थे। उन्होंने सोच रखा था कि बिटिया की उम्मीदों का आसमान हासिल करवाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। कॅरियर को लेकर थोड़ी समझ आते ही बिटिया ने जब प्रशासनिक सेवा में जाने की ख्वाहिश जताई तो उसी दिन से देवीप्रसाद ने भी तय कर लिया कि अब बिटिया को यह मंजिल दिलाकर ही रहेंगे। कक्षा 12वीं पास करने के बाद रजनी ने संविदा शिक्षक की परीक्षा दी और गांव के ही सरकारी स्कूल के लिए उसका चयन हो गया। इसके बाद वह पढ़ाती भी रही और साथ ही कॉलेज से स्वाध्यायी रूप से पढ़ाई भी करती रही।

2012 में एमपीपीएससी की परीक्षा दी
इसके बाद पिता और उसके जीजा विवेक वर्मा के प्रोत्साहन से वर्ष 2012 में एमपीपीएससी की परीक्षा दी। मुख्य परीक्षा पास कर ली। बदकिस्मती से पेपर लीक का मुद्दा उठा और इंटरव्यू पर रोक लग गई। इधर दूसरी ओर रजनी के पिता हर तरह की मुश्किलों का सामना करते हुए रजनी का हौसला बढ़ाते रहे। पिता-बेटी के इस संघर्ष से मुश्किलें भी हार गईं और किस्मत ने पलटा खा लिया। उच्च न्यायालय ने 2016 में आदेश दिया कि वर्ष 2012 के जिन परीक्षार्थियों के इंटरव्यू रोके गए थे, वे कराए जाए। इंटरव्यू हुए और इसमें अच्छे अंक हासिल करते हुए रजनी ने डिप्टी कलेक्टर की रैंक हासिल की। वर्तमान में रजनी सिवनी जिले में पदस्थ है। देवीप्रसाद को लाडली पर गर्व है।

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