वर्ल्ड वाटर डे: हर बूँद कीमती, पर तरस रहे बूँद-बूँद को

Edited By ,Updated: 22 Mar, 2017 04:30 PM

world water day 2017  63 million in india do not have access to clean water

जल ही जीवन है, यह बात हम बचपन से सुनते आये हैं, बावजूद इसके जल की महत्ता को हम आज भी समझ नहीं पाये हैं। 22 मार्च यानि आज का दिन वर्ल्ड वाटर डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। 1993 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मार्च को हर साल ''विश्व जल दिवस''...

चंडीगढ़ : जल ही जीवन है, यह बात हम बचपन से सुनते आये हैं, बावजूद इसके जल की महत्ता को हम आज भी समझ नहीं पाये हैं। 22 मार्च यानि आज का दिन वर्ल्ड वाटर डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। 1993 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मार्च को हर साल 'विश्व जल दिवस' मनाने का निर्णय किया गया था। तभी से इस अवसर को मनाया जाने लगा। 

 

इस दिवस को मनाने का मूल लक्ष्य ये था कि सब लोगों के बीच पानी की महत्वता एवं संरक्षण को लेकर जागरुकता फैलाना। लेकिन हम आज भी जल को लेकर इतने लापरवाह हैं कि भूल जाते हैं जल हमारे लिए महत्वपूर्ण संसाधन है। जल के बारे में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसमें सामने आया है कि कैसे विश्व भर में और खास तौर पर भारत में जल को बर्बाद किया जा रहा है। पूरी धरती पर पीने योग्य पानी मात्र दो दशलव आठ प्रतिशत ही शेष है, यही कारण है कि आज जल संरक्षण पर बहुत जोर दिया जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी की बर्बादी के कारण पेयजल की मात्रा लगातार घट रही है। 

 

अब भी है उतना ही पानी लेकिन
यह बात तो स्पष्ट है कि GDP के नाम पर बेतहाशा आर्थिक विकास, संसाधनों का अनुपयुक्त दोहन, औद्योगीकरण और जनसंख्या विस्फोट से पानी का प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इन सबके चलते पानी की खपत भी बढ़ रही है। हालांकि एक बात यह भी सच है कि जितना पानी आज से 2,000 साल पहले था, उतना ही अब भी है लेकिन उस वक्त की आबादी आज की कुल आबादी का सिर्फ 3 फीसदी ही थी।

 

ये होगी जरूरत
अब बात आंकड़ों की करते हैं। सेंट्रल वाटर कमीशन बेसिन प्लानिंग डारेक्टोरेट, भारत सरकार की ओर से 1999 में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार देश में घरेलू उपयोग के लिए जहां साल 2000 में 42 बिलियन क्यूबिक मीटर की जरूरत थी, वो साल 2025 में बढ़कर 73 बिलियन क्यूबिक मीटर और फिर साल 2050 में जरूरत 102 बिलियन क्यूबिक मीटर हो जाएगी।

 

बनाई गई है जलनीति
यहां आपको बताना जरूरी हो जाता है कि हमारे देश में राष्ट्रीय जल नीति - 2012 बनाई गई। इससे पहले राष्ट्रीय जल नीति - 1987 भी बनाई गई थी। दोनों में लगभग समान बातें कही गई हैं। अब ये बाते किसके, कितनी समझ में आई, ये सर्वे का मुद्दा है। एक बार फिर से आंकड़ों की ओर चलते हैं।

 

कुछ ख़ास कहते ये आंकड़े : 
1. आंकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है। 

2. मुंबई में रोज वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है। 

3. दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के वजह से रोज 17 से 44 % पानी बेकार बह जाता है। 

4. बाथ टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 पानी लीटर खर्च होता है। 

5. पृथ्वी पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है। 97.5% पानी समुद्र में है, जो खारा है. बाकी 1.5 % पानी बर्फ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में है। इसमें से बचा 1% पानी नदी, सरोवर, कुओं, झरनों और झीलों में है, जो पीने के लायक है। इस 1% पानी का 60वां हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है, बाकी का 40 वां हिस्सा पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ-सफाई में खर्च करते हैं। 

6. विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!