राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही संसद की सदस्यता छोड़ेंगे योगी और पर्रिकर

Edited By ,Updated: 14 May, 2017 03:00 PM

yogi parrikar will leave membership of parliament after presidential election

योगी आदित्यनाथ और मनोहर पार्रिकर ने मुख्यमंत्री बनने के लिए राष्ट्रीय राजनीति छोड़ दी लेकिन वे संभवत: अपनी संसदीय सीट से इस्तीफा राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने के बाद ही देंगे।

नई दिल्ली: योगी आदित्यनाथ और मनोहर पार्रिकर ने मुख्यमंत्री बनने के लिए राष्ट्रीय राजनीति छोड़ दी लेकिन वे संभवत: अपनी संसदीय सीट से इस्तीफा राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने के बाद ही देंगे। राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक-एक वोट महत्वपूर्ण है जहां विपक्षी दल एक साझा उम्मीदवार तय करने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं, वहीं भाजपा के सूत्रों के अनुसार पार्टी चाहती है कि दोनों नेता राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने के बाद लोकसभा से अपना इस्तीफा दें। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी राष्ट्रपति चुनाव के बाद लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे। उत्तर प्रदेश और गोवा के मुख्यमंत्रियों के साथ मौर्य को भी शपथ लेने के छह महीने के अंदर अपने राज्य की विधायिका में चुनकर आना होगा। उनके पास इस लिहाज से अभी काफी समय है जहां राष्ट्रपति चुनाव जुलाई में होने हैं। वे लोकसभा की सदस्यता त्यागने के बाद ही राज्य विधानसभा के लिए चुनाव लड़ सकते हैं।

पार्रिकर ने 14 मार्च को गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी वहीं आदित्यनाथ और मौर्य ने 19 मार्च को क्रमश: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के रूप में कमान संभाली थी। राष्ट्रपति चुनाव जुलाई में होने हैं और उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव अगस्त में होगा। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) स्पष्ट तौर पर भाजपा नीत राजग के पक्ष में है जहां लोकसभा और राज्यसभा के कुल 787 सदस्यों में से 418 सदस्य गठबंधन के हैं।

जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी के सत्तारूढ़ गठबंधन को अपनी पार्टी का समर्थन देने के एेलान के बाद राजग राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी इलेक्टोरल कॉलेज में बहुमत के आंकड़े से आगे निकल गया है। तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस ने भी संकेत दिया था कि वह राजग का समर्थन करेगी। भाजपा को तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक के दोनों धड़ों का समर्थन मिलने की भी उम्मीद है। हालांकि भाजपा को अपनी सहयोगी शिवसेना को लेकर विचार करना पड़ सकता है जिसने पिछले दो राष्ट्रपति चुनावों में भाजपा का साथ नहीं दिया।

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