बच्चियों से रेप करने वालों को छह महीने में हो फांसी : स्वाति मालिवाल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Feb, 2018 03:03 PM

exclusive interview with swati maliwal on child rape issue

दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालिवाल का कहना है कि बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों को छह महीने के अंदर फांसी की सज़ा हो। अपनी इस मांग के लिए वो 30 दिन तक सत्याग्रह कर रही हैं, जिसके तहत वो दिन रात ऑफ़िस में ही रुक रही हैं।

नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालिवाल का कहना है कि बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों को छह महीने के अंदर फांसी की सज़ा हो। अपनी इस मांग के लिए वो 30 दिन तक सत्याग्रह कर रही हैं, जिसके तहत वो दिन रात ऑफ़िस में ही रुक रही हैं।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले दिल्ली में एक आठ महीने की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना प्रकाश में आई थी. इसके कुछ ही दिन बाद एक और बच्ची के साथ बलात्कार की घटना सामने आई। इसके बाद ही मालिवाल ने सत्याग्रह की घोषणा की है।

कैसे रुकेंगे बलात्कार

बलात्कार को लेकर एक सख़्त क़ानून की ज़रूरत है और इसे केंद्र सरकार ही बना सकती है। स्वाति मालिवाल ने कहा, “एक आठ महीने की बच्ची का बलात्कार हुआ...उसको इतने गंभीर जख़्म थे कि तीन घंटे तक ऑपरेशन हुआ। मैं उससे मिलने गई। उसकी हालत का मैं बयान नहीं कर सकती। वो इतनी छोटी बच्ची है...उसका वज़न साढ़े पांच किलो से भी कम है...वो मेरे एक हाथ में आ जाएगी. ऐसी बर्बरता रोज़ दिल्ली में होती है। अभी इस केस से हम उबरे भी नहीं थे कि एक छह साल की बच्ची के साथ इस कदर बर्बरता के साथ बलात्कार हो गया कि चोटों की वजह से उसकी मौत हो गई।”उनके अनुसार, “ऐसे मामले देखकर कोई कैसे घर जाए.”मालिवाल कहती हैं कि इसीलिए दिल्ली महिला आयोग एक सत्याग्रह कर रहा है।

स्वाति का सत्याग्रह

स्वाति मालिवाल का कहना है कि बच्चियों के साथ रेप करने वाले को न्यूनतम छह महीने में फांसी की सज़ा निर्धारित हो। इसके अलावा उनकी कई मांगें हैं जिसे लेकर उन्होंने 30 दिन के सत्याग्रह की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि “मैं अपनी मांगों को लेकर कई बार अपील कर चुकी हूं...मैं परेशान हो चुकी हूं...यह सत्याग्रह पूरे समाज और सरकारों को जगाने के लिए है।”

गौरतलब है कि सत्याग्रह के तहत स्वाति मालिवाल 30 दिनों तक घर नहीं जाएंगी. वो कहती हैं कि इस दौरान वो रात में भी दफ्तर में ही रहती हैं और ऐसे मामलों पर नजर रखने के लिए वो रात में भी अपने सहयोगियों के साथ गस्त पर जाती हैं।

स्वाति मालिवाल के अनुसार, उन्होंने एक लाख चिट्ठियां इकट्ठा करने का अभियान चलाया है जिसमें कड़े क़ानून बनाए जाने के लिए केंद्र से अपील की जाएगी।

उनके मुताबिक, आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली में एक बड़ा जनांदोलन खड़ा करने की कोशिश की जाएगी। सुरक्षा के मुद्दे पर मालिवाल का कहना है कि जबतक हम लोगों के दिलों में डर नहीं पैदा करेंगे, ये मामले ऐसे ही सामने आते रहेंगे।

हालांकि कड़े क़ानून या डर की वजह से अपराध कितने रुके हैं...इस सवाल पर उनका कहना है, “ये सिर्फ मांगों का एक हिस्सा है. हम चाहते हैं कि सुरक्षा और न्याय से संबंधित मामले भी सुलझें।”

दिल्ली में 66 हज़ार पुलिसकर्मियों की कमी

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष का कहना है कि दिल्ली में पुलिस कर्मियों की संख्या कम है. यहां 66 हज़ार पुलिस कर्मी और चाहिए. दिल्ली पुलिस का अभी तक डिजिटाइजेशन नहीं हुआ है, अभी ये भी काम किया जाना बाकी है। ये इसलिए ज़रूरी है क्योंकि पुलिस कमिश्नर को भी पता नहीं होता कि उनका कौन सा एसएचओ सही काम कर रहा है या कहां महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध ज्यादा हो रहे हैं। डाटा को एक जगह लाने के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाने की ज़रूरत है, जिसको देश के पैमाने पर बनाने की कोशिश केंद्र सरकार पिछले 10 सालों से कर रही है। तीसरा अहम काम है फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाना।

स्वाति कहती हैं कि जबतक फास्ट ट्रैक कोर्ट दिल्ली में नहीं बनाए जाते..ऐसे मामलों का डेली ट्रायल नहीं हो पाएगा। ये सब केंद्र सरकार को करना है. स्वाति मालिवाल का कहना है कि वो इसीलिए केंद्र सरकार से मांग कर रही हैं।

 

निर्भया फंड का एक पैसा खर्च नहीं हुआ’

स्वाति मालिवाल का कहना है कि 3000 करोड़ रुपये का निर्भया फंड का गठन किया गया लेकिन इसमें कुछ पुलिस सुधारों के नाम पर पैसे जारी किए गए। लेकिन केंद्र सरकार जब तक उन्हें राज्यों को जारी नहीं करती उसका उपयोग कैसे हो पाएगा। इस फंड से महिला सुरक्षा को लेकर कोई भी काम नहीं हो पाया।

उनके अनुसार, जब बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए इस मद में से मांग की गई तो बार बार कहा गया कि ये जेंडर सेंसेटिव नहीं जेंडर न्यूट्रल प्रोजेक्ट है क्योंकि इसमें पुरुष भी चलते हैं।

बच्ची के साथ नहीं मेरे साथ बलात्कार हुआ..अब होगा आंदोलन’

स्वाति मालिवाल कहती हैं कि उस छोटी बच्ची के साथ बलात्कार हुआ है तो मुझे लगा कि मेरे साथ भी बलात्कार हुआ।

उनके अनुसार, ‘अगर इस बात पर भी हमें गुस्सा नहीं आया और सड़क पर उतर कर डिमांग नहीं करेंगे तो हमारी इंसानियत पर भी प्रश्नचिह्न है’।

उनका कहना है कि कि महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को लेकर आयोग इस समय एक आंदोलन के मोड में काम कर रहा है। आने वाले आठ मार्च तक मांगों पर कोई फैसला नहीं होता तो एक जनांदोलन होगा।

स्वाति मालिवाल का कहना है कि इस मुद्दे पर केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह और सभी पार्टियों से वो आग्रह कर रही हैं कि इस मुद्दे पर कड़े कदम उठाए जाएं।

हालांकि वो कहती हैं कि अब जनता सड़क पर उतर कर सीधे सभी राजनीतिक पार्टियों के सामने अपनी डिमांड रखेगी। केंद्र को पत्र लिखने के अभियान के बारे में उन्होंने कहा कि अब आम लोग पत्र लिखकर उनसे सीधे समय मांगेंगे और सवाल पूछेंगे।

महिला सुरक्षा और शराबबंदी

स्वाति मालिवाल का कहना है कि शराबबंदी का महिला सुरक्षा से एक सीधा संबंध है। दिल्ली में घरों में शराब बन रही है और नशे का कारोबार हो रहा है। जबतक उसे रोका नहीं गया, अपराधों पर लगाम लगाना मुश्किल होगा। वो कहती हैं, “हालत ये है कि नशे कारोबारी हमला बोलने, धमकी देने तक की हिम्मत कर रहे हैं। एक महिला ने जब शराब पकड़वाई तो उसे मारा पीटा गया। जब मैं पहुंची तो मुझे धमकी दी गई। यहां तक कि पुलिस पर भी हमला बोला गया।”

उनके अनुसार, “शराब बेचने वाले साफ कह रहे हैं कि पुलिस को पैसे देकर वो धंधा कर रहे हैं। आबकारी विभाग कहता है कि उसे पता नहीं। मुझे लगता है कि उसे भी कुछ न कुछ रिश्वत दी जाती होगी।”

आश्रम में कैद हो गईं थीं मालिवाल...

स्वाति मालिवाल कहती हैं कि देवेंद्र देव दीक्षित का अभी हाल ही में मामला सामने आया। जब वो जांच पड़ताल के लिए उसके आश्रम में पहुंचीं तो उन्हें भी कुछ देर के लिए बंधक बना लिया गया था, जबकि उनके साथ एक डीएसपी रैंक का अधिकारी भी मौजूद था।

स्वाति के अनुसार, “बाबा अपने आश्रम में एक तरह से लड़कियों को बंधक बनाकर रखे हुआ था। यहां ऐसी लड़कियां थीं...जिनके मां बाप ने ही उन्हें यहां छोड़ दिया था।”

स्वाति का कहना है, “जिन मां बाप के यहां चार पांच लड़कियां हैं, वो सोचते हैं कि एक लड़की को बाबा की सेवा में भेज देते हैं...इस तरह इन बाबाओं के जाल में लड़कियां फंस जाती हैं। दीक्षित के आश्रम में तो हर दरवाजे पर लोहे के मजबूत दरवाजे लगाए गए थे, ताकि कोई लड़की वहां से भाग न निकले।”

 

दिल्ली महिला आयोग अध्यक्षा का कहना है कि जबतक महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को हल नहीं किया जाता, तबतक अपराधों पर लगाम लगाने की हर कोशिश अपने अंजाम तक नहीं पहुंचेगी।

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