दूसरों की रक्षा करने वाली पुलिस की अपनी जान रामभरोसे

Edited By ,Updated: 19 Jan, 2015 02:56 AM

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लोगों की सुरक्षा के लिए दिन-रात काम करने वाले पुलिस वालों की सुरक्षा के लिए प्रशासन व सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।

जालंधर (शौरी): लोगों की सुरक्षा के लिए दिन-रात काम करने वाले पुलिस वालों की सुरक्षा के लिए प्रशासन व सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। हालात ये हैं कि खस्ताहाल इमारतों में ड्यूटी करने वाले पुलिस वालों की अपनी सुरक्षा रामभरोसे है। बताया जा रहा है कि अधिकारी कई बार इस बाबत अपने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर सूचित कर चुके हैं कि खस्ताहाल इमारतों का निर्माण जरूरी हो चुका है। 
 
पुलिस कर्मचारियों की मानी जाए तो करीब 1985 में पटेल चौक के पास बनी सी.आई.ए. स्टाफ शहरी, देहाती, थाना-2, पी.ओ. स्टाफ, एंटी-फ्रॉड, एंटी-गुंडा स्टाफ, मानव तस्करी विरोधी स्टाफ की इमारतें शामिल हैं।
 
इन इमारतों का बाहर से ही दौरा करने पर पता चल जाता है कि इमारतें कितनी मजबूत हैं? पंजाब केसरी की टीम ने उक्त इमारतों का दौरा किया तो देखा कि इमारतों के बाहर पीपल के पेड़ उगने के साथ उनकी लम्बी जड़ें इमारतों के चारों ओर फैली हुई थीं। इमारतों का सीमैंट उखड़ कर गिर चुका था। हालांकि बिल्डिंग को पिल्लर मेन सहारा देते हुए नजर आ रहे थे, लेकिन कुछ पिल्लर भी जवाब दे चुके थे। 
 
यदि देखा जाए तो इन इमारतों में किसी डरावनी फिल्म की शूटिंग की जाए तो फिल्म देखने वाले लोग भी इन इमारतों के देख कर बुरी तरह से डर जाएं। इस कारण फिल्म हिट भी हो सकती है।
 
उक्त इमारतों के बाहर-भीतर आवारा कुत्ते भी बैखोफ होकर घूमते हुए देखे जा सकते हैं वहीं, कुछ पुलिस वालों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनका घर दूर होने के कारण कई बार वे घर नहीं जा सकते। इसके चलते वे इन इमारतों में ही सो जाते हैं लेकिन बारिश के दिनों में तो इमारतों की छतों से पानी टपकता रहता है जिससे उन्हें यह डर सताता रहता है कि न जाने कब यह बिल्डिंग गिर जाए। 
 
पुलिस अधिकारी भी इस बाबत मंत्रियों से लेकर प्रशासनिक उच्च अधिकारियों को पत्र लिख-लिखकर थक चुके हैं लेकिन उन्हें आगे से जवाब दिया जाता है कि उनके पास अभी फंड नहीं है।
 
एक तरफ मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का दावा है कि सरकार के खजाने खाली नहीं, बल्कि भरे हुए हैं वहीं, दूसरी तरफ उनका ध्यान इन खस्ताहाल बिल्डिंगों की तरफ क्यों नहीं जाता? अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में भी कुम्भकर्णी नींद सो रही मौजूदा सरकार के मंत्रियों का ध्यान उक्त बिल्डिंगों की तरफ जाता है या नहीं?

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